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122 122 122 12

     

कि जब आप उनके कहाने लगे

मुझे सारे वादे बहाने लगे

 

किया चाक दिल था हमारा अभी            

महल ख्वाब का क्यूँ ढहाने लगे

 

यकीं था मुझ्र भूल जाओगे अब   

गमे याद तुम तो तहाने लगे

 

कहा था अगम एक सागर हूँ मैं

गजब है कि सागर थहाने लगे

 

चिता ठीक से जल न पाई अभी

मगर आप गंगा नहाने लगे

(मौलिक/अप्रकाशित)

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Comment by मिथिलेश वामनकर on February 6, 2017 at 12:43pm

आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर, वाह वाह, क्या खूब ग़ज़ल कही है. शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं. मतला और आखिरी शेर का जवाब नहीं. आदरणीय सौरभ सर की बात से सहमत हूँ. सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 6, 2017 at 12:21pm

आदरणीय गोपाल सर अलहदा अंदाज में लिखी इस शानदार ग़ज़ल के लिए धेर सारी बधाई स्वीकार करें ..सादर प्रणाम के साथ


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Comment by Saurabh Pandey on February 5, 2017 at 10:11pm

क्या कमाल किया है, आपने आदरणीय गोपाल नारायण जी ! देसज शब्दों के लालित्य का काफ़िया में भरपूर उपयोग किया है ! वाह वाह ! 

मैं तो मतले की बेबाकी पर ही मुग्ध हूँ. दिल से ’हरजाई’ के लिए उठती ’उफ़’ और ’आह’ को आपने शब्दों से खूब बाँधा है. बधाई.. 

लेकिन .. किया चाक दिल था हमारा अभी .. जैसे मिसरे से बचना था. शेर के मिसरे बुनावट में यों गुत्थम्गुत्था हो कर प्रस्तुत नहीं होते.  इसी तरह मुझ्र  कोई शब्द नहीं होता. यह अवश्य ही मुझे को लेकर हुई टंकण-त्रुटि है. 

बहरहाल, इस निराली ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Samar kabeer on February 5, 2017 at 9:55pm
और जनाब 'ढहाने' या "ढाने" ?
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 5, 2017 at 9:44pm

आ० समर कबीर साहिब /आ०मो० आरिफ साहिब 

थहाना meaning in hindi


[क्रि-स.] - गहराई, गुण आदि की थाह लेना

तहाना meaning in hindi


[क्रि-स.] - किसी वस्तु को तह लगा कर रखना; तह करना; लपेटना

उक्तानुसार ही कहाना का अर्थ कहलाना है . सादर .

Comment by Mohammed Arif on February 5, 2017 at 7:02pm
आदरणीय गोपाल नारायण जी आदाब,कृपया 'कहाने','थहाने','तहाने' शब्दों के अर्थ बताने की कृपा करें ।
Comment by Samar kabeer on February 4, 2017 at 8:59pm
जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,ग़ज़ल अच्छी हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
कुछ शब्द नये नये से लगे,जैसे 'कहाने','ढहाने','तहाने','थहाने'कृपया इनके अर्थ बताने का कष्ट करें ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 3, 2017 at 11:55am

आ. भाई गोपाल नारायण जी एक अच्छी ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई .

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