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जो करा रहा है पूजा बस उसी का फ़ायदा है (ग़ज़ल)

बह्र : ११२१ २१२२ ११२१ २१२२

 

जो करा रहा है पूजा बस उसी का फ़ायदा है

न यहाँ तेरा भला है न वहाँ तेरा भला है

 

अभी तक तो आइना सब को दिखा रहा था सच ही

लगा अंडबंड बकने ये स्वयं से जब मिला है

 

न कोई पहुँच सका है किसी एक राह पर चल

वही सच तलक है पहुँचा जो सभी पे चल सका है

 

इसी भोर में परीक्षा मेरी ज़िंदगी की होगी

सो सनम ये जिस्म तेरा मैंने रात भर पढ़ा है

 

यदि ब्लैकहोल को हम न गिनें तो इस जगत में

वो लगा लुटाने फ़ौरन यहाँ जब भी जो भरा है

 

चलो अब तो हम भी चलकर उसे बेक़ुसूर कह दें

वो भरी सभा में रोकर सभी को दिखा रहा है 

-------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by गिरिराज भंडारी on January 4, 2017 at 5:13pm

आदरनीय धर्मेन्द्र भाई , नया साल मुबारक हो ....  गज़ल बहुत अच्छी कही है , दिल से बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 3, 2017 at 1:40pm
आद्0 भाई धर्मेन्द्र सिंह जी सादर अभिवादन, उम्दा गजल के लिए बधाई, बहुत बढ़िया गजल कही आपने

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Comment by मिथिलेश वामनकर on January 3, 2017 at 12:50am

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र सिंह जी, इस बह्र में एक शानदार ग़ज़ल पढ़कर या कहूं गुनगुनाकर दिल खुश हो गया. इस लाजवाब ग़ज़ल पर दिल से दाद हाज़िर है. आखिरी शेर तो लाजवाब हुआ है. एक निवेदन- // अभी तक तो आइना सब को दिखा रहा था सच ही// इस मिसरे में तनिक परिवर्तन हो सके तो देखिएगा. एक बढ़िया कथ्य होने के बावजूद शब्द विन्यास के कारण अटपटा लग रहा है. सादर 

Comment by Mahendra Kumar on January 2, 2017 at 10:29pm
आदरणीय धर्मेन्द्र जी, इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
Comment by Samar kabeer on January 2, 2017 at 5:43pm
जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं ।
Comment by Mohammed Arif on January 2, 2017 at 5:21pm
आदरणीय कुमार जी ग़ज़ल अच्छी लगी, बधाई स्वीकार करें!

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