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अल्फाज से मगर ये छिपाया नही गया

*बह्र 221 2121 1221 212*

था नाम दिल पे दर्ज मिटाया नहीं गया
आँखों से मेरा प्यार छुपाया नहीं गया।।

कल को सँवारने में गई बीत ज़िन्दगी
जो सामने था लुत्फ़ उठाया नही गया।।

कोशिश बहुत की, राज़े मुहब्बत अयाँ न हो।
अल्फाज से मगर ये छिपाया नहीं गया।।

बीवी बहन न कोई मिलेगी बहू तुम्हे
बेटी को कोख में जो बचाया नहीं गया।।

मंदिर में जाके भोज कराने से फायदे?
माँ बाप को तो तुमसे खिलाया नहीं गया।।

पलको से रोकने की हुई कोशिशें मगर
"आंसू का बोझ दिल से उठाया नही गया।।"

मुश्किल कहाँ थे वादे मुहब्बत के नाथ, पर
तुमसे हमारा साथ निभाया नहीं गया।।

(मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by नाथ सोनांचली on December 20, 2016 at 4:15am
आदर्णीय गुरुदेव आपका आभार
Comment by Ravi Shukla on December 15, 2016 at 2:43pm

आदरणीय सुरेन्‍द्र नाथ जी बहुत अच्‍छी गजल कही है आपने  शेर दर शेर बधाई हाजिर है । 

Comment by TEJ VEER SINGH on December 15, 2016 at 12:26pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेंद्र नाथ जी।बहुत उम्दा गज़ल।

बीवी बहन न कोई मिलेगी बहू तुम्हे
बेटी को कोख में जो बचाया नहीं गया।।

मंदिर में जाके भोज कराने से फायदे?
माँ बाप को तो तुमसे खिलाया नहीं गया।।

Comment by नाथ सोनांचली on December 13, 2016 at 1:37am
आद0 मिथिलेश वामनकर जी गजल को पढ़ने और प्रतिक्रिया और आशीष देने के लिए आपका ह्रदय से आभार
Comment by नाथ सोनांचली on December 13, 2016 at 1:35am
आद0 महेन्द्र कुमार जी गजल को मान देने के लिए हार्दिक आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 13, 2016 at 12:25am

आदरणीय सुरेन्द्र जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. इस शानदार प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by Mahendra Kumar on December 12, 2016 at 9:33pm
उम्दा ग़ज़ल है आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी। हार्दिक बधाई। सादर।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 12, 2016 at 8:31pm

जनाब सुरेंद्र नाथ साहिब , बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल हुई है , दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं --

Comment by नाथ सोनांचली on December 12, 2016 at 10:59am
आद0 जनाब समर कबीर साहब आदाब, आपकी दाद मिल गयी, मेरा लिखना सार्थक हो गया। यूँही आपका आशीष और मंच का साथ बना रहें। आप का ह्रदय तल से आभार
Comment by Samar kabeer on December 12, 2016 at 10:26am
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

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