For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (शबे विशाल की दुल्हन को इंतज़ार रही)

1212      1122     1212     112

अवाम में सभी जन हैं इताब पहने हुए

सहिष्णुता सभी की इजतिराब पहने हुए |

गरीब था अभी तक वह बुरा भला क्या कहें

घमंडी हो गया ताकत के  ख्याब पहने हुए |

मसलना नव कली को जिनकी थी नियत, देखो (२२-११२)

वे नेता निकले हैं माला गुलाब पहने हुए |

अवैध नीति को वैधिक बनाना है धंधा (२२-११२)

वे करते केसरिया कीमखाब पहने हुए |   

शब-ए -विशाल की दुल्हन को इंतज़ार रहा

शबे फिराक हुई इजतिराब पहने हुए |

शबे दराज़ तो बीती बिना पलक मिला कर

सनम नहीं कहीं भी तो सराब पहने हुए |

शब्दार्थ :

इताब –गुस्सा ; इजतिराब –बेचैनी

कीमखाब –वस्त्र ,कपड़ा ; सराब – मृग मरीचिका ,भ्रम

शबे विशाल – मिलन की रात: शबे फिराक – विरह की रात

शबे दराज़ –लम्बी रात

 

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 1107

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on November 2, 2016 at 5:41pm
"शब"शब्द में इज़ाफ़त है इसलिये उसे 'शब-ए-लिखिए या 'शबे'बात एक ही रहेगी वज़्न भी समान ही माना जाता है ।
'कीमख़ाब'मेरे ख़याल में सही नहीं'किमख़ाब'ही सही शब्द है ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 2, 2016 at 3:57pm

आदरणीय समर कबीर साहब आदाब . "विसाल" वर्तनी की ओर ध्यान नहीं गया था ,अब ठीक कर लूंगा |

फिर भी एक बात पूछना है --शब्-ए -विसाल का भार  २-१-१२१ और शबे विसाल  का १२-१२१  (छुट लेकर ) इजाफत नियम के मुताबिक ब का भार १ ही रहता है | तो क्या शबे  का भार जरुरत के मुताबिक़ ११ मान सकते है ?

शब्द कोष के अनुसार किमखाब,कीमखाब किमख्वाब का अर्थ एक ही  है | मैंनेपहले भी कीमखाब का प्रयोग किया था | सादर 

Comment by Samar kabeer on November 2, 2016 at 2:55pm
भाई,मैने ये अर्ज़ किया था कि 'शबे विशाल'नहीं"शबे विसाल"करें,इसमें कहाँ वज़्न बदल रहा है,'विशाल'सही शब्द नहीं है,सही शब्द है"विसाल"'शा'को "सा"करने से क्या वज़्न बदल जाता है ?
इसी तरह तरही मुशायरे में आपने एक या दो शैरों में'किमख़ाब'शब्द इस्तेमाल किया था जो सही था,फिर उसी शब्द को यहँ आपने'कीम ख़ाब' कर दिया,मेने तो आपको इशारे दिए हैं,उन्हें समझना तो आप ही को है न । किमख़ाब की मुनासिबत से आपको मिसरा बदलना होगा ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 2, 2016 at 11:20am

आदरणीय समीर कबीर साहब , आदाब , आपके सुझाव के आनुसार मैंने   //शबे विशाल // को //शब्- ए - विशाल // किया परन्तु  भार १२१२१ से २११ २१ हो गया | क्या आप २११ को १२१ मान रहे है ? अगर ऐसा है तो यही बात मैं आप से पहले भी पूछा था क्या यह सभी बहरों में कर सकते हैं या किसी ख़ास बहर , वे कौन से हैं ?

वे करते के/सरिया की/मखाब पह/ने हुए 

१ २  12/112२/1212/११२

कीमखाब =बहर में बैठ रहा है, किमख्वाब का मात्रा भार मैं बैठा नहीं पा रहा हूँ | कृपया मार्ग दर्शन करें 

सादर

Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 1, 2016 at 7:49pm

बहुत बहुत आभार आ ब्रिजेश कुमार जी 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 1, 2016 at 7:47pm

आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी साहिब हौसला अफजाई  केलिए हार्दिक आभार \

Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 1, 2016 at 7:37pm

आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब ! आपके मार्ग दर्शन में बहुत कुछ सिखने को   मिलता है| विस्तृत विश्लेषण के लिए हार्दिक आभार |

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 1, 2016 at 6:46pm
खूबसूरत ग़ज़ल
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 1, 2016 at 6:25pm
समसामयिक विषयों पर बहुत बढ़िया पेशकश के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय कालीपद प्रसाद मंडल जी। मोहतरम जनाब समर कबीर साहब की टिप्पणी से जानकारी बढ़ी, सादर हार्दिक धन्यवाद।
Comment by Samar kabeer on November 1, 2016 at 5:34pm
जनाब कालीपद प्रसाद मंडल जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
दूसरे शैर के सानी मिसरे में 'ताक़त की ख़्वाब' को "ताक़त के ख़्वाब" कर लें,"ख़्वाब"पुल्लिंग है ।
चौथे शैर में 'कीमख़्वाब'को "किमख़्वाब"कर लें ।
पांचवें शैर के ऊला मिसरे में 'शब-ए-विशाल'को "शब-ए-विसाल"और 'इन्तिज़ार रही'को"इन्तिज़ार रहा"कर लें,इन्तिज़ार पुल्लिंग है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service