For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ताटंक छन्द- उरी हमले के संदर्भ में

नापाक इरादों को लेकर, श्वान घुसे फिर घाटी में।

रक्त लगा घुलने फिर देखो, केसर वाली माटी में ।।

सूनी फिर से कोख हुई है, माँ ने शावक खोये हैं।

चीख रही हैं बहिनें फिर से, बच्चे फिर से रोये हैं।१।

सिसक रही है पूरी घाटी, दिल्ली में मंथन जारी।

प्रत्युत्तर में निंदा देते, क्यूँ है इतनी लाचारी।।

अंदर से हम मरे हुए हैं, पर बाहर से जिन्दा हैं।

माफ़ करो हे भारत पुत्रों, आज बहुत शर्मिंदा हैं।२।

वो नापाक नहीं सुधरेंगे, कब ये दिल्ली मानेगी।

आर-पार का अंतिम निर्णय, कब ये दिल्ली ठानेगी।।

दिल काला है खूं है काला, कब कालों को जानेगी।

कुत्ते की दुम टेढ़ी रहती, सच ये कब पहचानेगी।३।

अबकी प्रश्न नहीं हैं उनसे, पूछ रहा हूं दिल्ली से।

कब तक शावक ही हारेंगे, कायर कुत्सित बिल्ली से।।

कैसे मोल चुकाओगे तुम, इन सत्रह बलिदानों का।

जंग लग रही तलवारों में, मुँह खोलो अब म्यानों का।४।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ पवन मिश्र on September 25, 2016 at 7:27am

हमारे तात्कालिक प्रयास पर लिखे छन्दों को मान देने के लिए आप सबका हृदय तल से आभार। 

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 22, 2016 at 10:02pm

वाह ! वाह ! सुंदर रचनाएं हुई हैं आदरणीय डॉ. पवन कुमार मिश्र जी उरी में हुई घटना पर उत्तम प्रस्तुति. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 21, 2016 at 2:35pm

अच्छी रचना हुई है

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 20, 2016 at 12:48pm
आदरणीय पवन जी सुन्दर एवं भावप्रद समयानुकूल रचना के लिए हार्दिक बधाई । सादर ।
Comment by Ravi Shukla on September 19, 2016 at 10:09pm
आदरणीय पवन जी ओज पूर्ण प्रस्तुति हुई है शहीदों को श्रद्धांजलि के लिए आपका आभार ।
अच्छे ताटंक लिखे आपने बधाई ।
Comment by Ram Ashery on September 19, 2016 at 9:25pm

अति सुंदर एवं सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है आपको बहुत बहुत बधाई हो 

Comment by Samar kabeer on September 19, 2016 at 5:37pm
जनाब डॉ.पवन मिश्र जी आदाब,बहुत बढ़िया छन्द हुए हैं,दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service