For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

शिद्दत की प्यास-----

‘बेटा ----‘

वृद्ध-बीमार पिता ने पुकारा

कोई उत्तर नहीं आया  

‘बेटा श्रवण -----‘

पिता ने फिर पुकारा

फिर कोई उत्तर नहीं आया

‘बहू ------ ‘

वृद्ध ने विकल्प तलाशना चाहा

कोई हलचल नहीं हुयी

वृद्ध ने एक और प्रयास करना चाहा

पर खुश्क गले से

नहीं निकल पायी आवाज 

उसने कोशिश की स्वयं उठने की

बूढ़े पांवों में नहीं थी

शरीर का बोझ उठाने की ताकत   

वह लड़खड़ा कर गिरा

कोई बर्तन टूटा,  फ़ैल गया पानी

अचानक दरवाजा खुला

बहू ने प्रवेश किया

‘क्या बाबू जी---?रायता फैला दिया

तंग आ गयी मैं सफाई करते-करते 

पर नहीं आते आप

अपनी हरकतों से बाज ?’

तभी वहां प्रकट हुआ

श्रवण कुमार , आँखें मलता हुआ

‘क्या हुआ डार्लिंग ?’

‘बाबू जी ने फिर जग तोड़ दिया

और क्या ?

‘ओह डैड ! कितनी बार कहा 

आवाज दे दिया करो

जगा लिया करो पर ---‘

अचानक बहू ने घबरा कर कहा -

‘अरे ---- यह बुड्ढा उठता क्यों नहीं ?’

Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on September 13, 2016 at 10:05am
बहुत सुन्दर और मार्मिक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई । सादर ,
Comment by Sushil Sarna on September 12, 2016 at 7:13pm

आदरणीय डॉ. गोपाल जी भाई साहिब एक यथार्थ को आपने बड़ी ही मार्मिकता से प्रस्तुत किया है। ज़हन में उभरे चन्द शब्द इसी सन्दर्भ में :

उम्र की 
उम्रदराज़ चौखट को 
ये दर्द भी सहने पड़ते हैं 
न ज़िन्दगी साथ देती है 
न मौत हाथ देती है ,
एक बर्तन से टूट जाते हैं 
दर्द बिखरे 
खुद ही उठाने पड़ते हैं 
मजबूर हैं 
कांधों के लिए 
वरना 
शमशानों सी इस दुनिया में 
अपने ज़िस्म 
चिताओं पे 
खुद ही जलाने पड़ते हैं

बहरहाल इस मार्मिक प्रस्तुति के लिए दिल बधाई स्वीकार करें सर।

Comment by Samar kabeer on September 12, 2016 at 3:09pm
जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,कमाल की कविता लिखी आपने,तारीफ़ के लिये अल्फ़ाज़ नहीं हैं मेरे पास,ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कोई चलचित्र सामने हो ,इस शानदार कविता के लिये दिल की गहराइयों से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 12, 2016 at 2:57pm
बुज़ुर्ग तो उठ गया अपनी अंतिम भूमिका इस दुनियावी मंच पर निभाकर।ऐसे हालात में आवाज़ सिर्फ़ ऊपर वाले तक ही पहुँच पाती है। बेटे-बहू शर्म से पानी-पानी हों या न हों, प्रदूषित संस्कृति ज़रूर होती है पानी-पानी। ...बेहतरीन भाव पूर्ण संदेश वाहक प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद और आभार आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 12, 2016 at 5:48am
समय हो गया। कष्ट सहने का समय पूरा हो गया। जग दूसरा आ जाएगा। कहानी प्रेरक है। बधाई , आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
30 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service