For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इन्सां के लिए ... (क्षणिकाएं)

इन्सां के लिए ... (क्षणिकाएं)
1 .
एक पत्थर उठा
शैतां के लिए
एक पत्थर उठा
जहां के लिए
एक पत्थर उठा
मकां के लिए
देवता बन
जी उठा
एक पत्थर
इन्सां के लिए
...... ..... ..... .....
२.
मैं आज तक
वो रिक्तता
नहीं नाप सका
जिसमें
कोई माँ
अपने जन्मे को
तन्हा छोड़
ब्रह्मलीन हो जाती है
मन को शून्यता की
क़बा दे जाती है
..... ..... ..... ..... .....
३.
हमने
प्रवाहित कर दी थी
गंगा में
कलश में समेटी अस्थियां
जैसा माँ ने
अंतिम क्षणों में
कहा था
नहीं बहा सके मगर
उसकी
क्षीण होती
दर्दीली स्वर लहरी को

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 493

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 19, 2016 at 2:08pm

आदरणीय सौरभ सर प्रस्तुतियां आपकी आत्मीय प्रशंसा से उपकृत हुई। आपका सुझाव मेरे लिए अमूल्य है नए सृजन में इस सूक्षम और गहन बात को अवश्य ध्यान में रखूँगा।  पुनः आप का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on August 19, 2016 at 2:04pm

आ.  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवजी प्रस्तुति आपकी स्नेहिल प्रशंसा से उपकृत हुई। 

Comment by Sushil Sarna on August 19, 2016 at 2:02pm

आदरणीय   Samar kabeer    जी प्रस्तुति को अपने स्नेह से सुशोभित  करने के लिए आपका हार्दिक आभार। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 18, 2016 at 4:33pm

अत्यंत सान्द्र भावनाओं केलिए बारम्बार बधाइयाँ. तीनों क्षणिकाएँ संप्रेषणीयता के लिहाज से अत्यंत सटीक हुई हैं. अलबत्ता, पहली क्षणिका में पत्थरों के प्रकार को तार्किक क्रम देना और उचित होता.

सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 17, 2016 at 9:37pm

सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति- आदरणीय

Comment by Samar kabeer on August 17, 2016 at 3:27pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा क्षणिकाएं हुई हैं,कम शब्दों में गहरी बातें कह गए आप,बहुत बधाई स्वीकार करें इस शानदार प्रस्तुति पर ।
Comment by Sushil Sarna on August 17, 2016 at 1:41pm

आ. कल्पना भट्ट जी प्रस्तुति आपकी स्नेहिल प्रशंसा से उपकृत हुई। 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 17, 2016 at 9:08am
भावनात्मक रचना । बधाई स्वीकारें आदरणीय सुशील जी ।
Comment by Sushil Sarna on August 16, 2016 at 7:12pm

आदरणीय  Shyam Narain Verma    जी प्रस्तुति को अपने स्नेह से सुशोभित  करने के लिए आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Shyam Narain Verma on August 16, 2016 at 4:59pm
बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई  सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service