2122 2122 2122 212
नाम को गर बेच कर व्यापार होना चाहिए
दोस्तों फिर तो हमें अखबार होना चाहिए
आपके भी नाम से अच्छी ग़ज़ल छप जायेगी
सरपरस्ती में बड़ा सालार होना चाहिए
सोचता हूँ मैं अदब का एक सफ़हा खोलकर
रोज़ ही यारो यही इतवार होना चाहिए
क्या कहेंगे शह्र के पाठक हमारे नाम पर
छोड़िये, बस सर्कुलेशन पार होना चाहिए
हम निकट के दूसरे से हर तरह से भिन्न हैं
आंकड़ो का क्या यही मेयार होना चाहिए
नो निगेटिव न्यूज का मुद्दा मुनासिब आपका
गैर वाज़िब बात का प्रतिकार होना चाहिए
खो गया है ये कहीं विज्ञापनों के ढेर में
बीच में इनके कही अखबार होना चाहिए
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय रवि जी, दिली दाद कुबूल कीजिए
बहुत खूब आदरणीय रवि सर |
नाम को गर बेच कर व्यापार होना चाहिए
दोस्तों फिर तो हमें अखबार होना चाहिए
आपके भी नाम से अच्छी ग़ज़ल छप जायेगी
सरपरस्ती में बड़ा सालार होना चाहिए
सोचता हूँ मैं अदब का एक सफ़हा खोलकर
रोज़ ही यारो यही इतवार होना चाहिए | खूब |
महीने की सर्वश्रेष्ट रचना चुने जाने की ढेरों बधाई |
आदरणीय अशोक जी रक्ताले आदरणीय शिज्जू जी आदरणीय पवन जी आदरणीय बृजेश जी आप सबका गजल को पसंद करने और रचना को मिलने वाले सम्मान को साझा करने के लिये बहुत बहुत आभार । सादर
वाह ! वाह ! बहुत ही दमदार गजल कही है आदरणीय रवि शुक्ला जी. सादर बधाई स्वीकारें.
वाह आदरणीय वाह बहुत ही खूबसूरत
आदरणीय सौरभ भाई जी आपकी अपनत्व भरी हौसला अफजाई से दिल बहुत प्रसन्न है कुछ तकनीकी कारणों से पहले टिप्पणी नहीं भेज सके थे । हमारे लिये कहे आपके शेर का ह्रदय से स्वागत है आभार स्वीकार कीजिये ।
आदरणीय राहुल जी गजल आपको पसंद आई अच्छा लगा आभार स्वीकार करे
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