For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( क्या ज़रूरत थी मुस्कराने की )

ग़ज़ल ( क्या ज़रूरत थी मुस्कराने की )

-----------------------------------------------

2122 ------1212 ------22

फ़ितरते बर्क़ है जलाने  की /

ख़ैर क्या मांगें  आशियाने की /

जाँ अगर लेनी थी बता देते

क्या ज़रूरत थी मुस्कराने की /

उनकी आदत है जुल पे जुल देना

और अपनी फ़रेब   खाने की /

छिन गई नींद लुट गया है सुकूं

ये सज़ा पायी दिल लगाने की /

पास जाके  भी देखते कैसे

उनकी आदत है मुंह छुपाने की/

घर किराये के ख़ूब मिलते हैं

क्या ज़रूरत मकाँ बनाने की /

इश्क़ तस्दीक़ करने से पहले

आदतें डालिये निभाने की /

(मौलिक व अप्रकाशित ) 

Views: 575

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 23, 2016 at 9:21am

मोहतरमा कान्ता साहिबा ,  आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,मेहरबानी

Comment by kanta roy on February 23, 2016 at 9:11am
छिन गई नींद लुट गया है सुकूं
ये सज़ा पायी दिल लगाने की...... वाह ! क्या खूब गजल फरमाये है आपने आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी । बधाई कबूल फरमाईयेगा ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2016 at 8:45pm

 जनाब मनोज  कुमार अहसास  साहिब  ,  आपकी  हौसला अफ़ज़ाई का तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया , महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2016 at 8:44pm

 जनाब पंकज कुमार  साहिब  ,  आपकी  हौसला अफ़ज़ाई का तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया , महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2016 at 8:43pm

मोहतरम जनाब समर कबीर  साहिब आदाब ,  आपकी  हौसला अफ़ज़ाई का तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया , महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2016 at 8:41pm

जनाब आशुतोष मिश्रा साहिब ,  आपकी ख़ूबसूरत दाद और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by मनोज अहसास on February 22, 2016 at 4:40pm
प्रस्तुति के लिए शुभकामना
सादर
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 22, 2016 at 2:28pm
आदरणीय तस्दीक सर बढ़िया ग़ज़ल पढ़ने को मिली, शुक्रिया
Comment by Samar kabeer on February 21, 2016 at 3:30pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल कही आपने मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं !
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 21, 2016 at 2:02pm

भाई तस्दीक जी ..

जाँ अगर लेनी थी बता देते

क्या ज़रूरत थी मुस्कराने की /..क्या बात है ,,आनद आ गया 

इश्क़ तस्दीक़ करने से पहले

आदतें डालिये निभाने की / अच्छा मशविरा   इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई  स्वीकार  करें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service