For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (निभा रहे हैं )

 ग़ज़ल ( निभा रहे हैं )

  12122 ----12122)

फरेब उल्फ़त में खा रहे हैं /

सितमगरों से निभा रहे हैं /

घटाएं हों क्यों न पानि पानी

वो छत पे ज़ुल्फ़ें सुखा रहे हैं /

हुई है  मुद्दत ये सुनते सुनते

वो मुझको अपना बना रहे हैं /

शराब ख़ोरी तो है  बहाना

किसी को दिलसे भुला रहे हैं /

लगाके इल्ज़ाम दूसरों पर

वो अपनी ग़लती छुपा रहे हैं /

मेरे लिए बज़्म में वो आये

मगर सभी फ़ैज़ पा रहे हैं /

बुरा हो तस्दीक़ मुफ़लिसी का

वो हम से दामन छुड़ा रहे हैं /

 

(मौलिक व अप्रकाशित )  

Views: 503

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 17, 2016 at 3:05pm

जनाब लक्ष्मण धामी साहिब , ग़ज़ल पसंद करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया , मेहरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 17, 2016 at 3:04pm

जनाब केवल प्रसाद साहिब , ग़ज़ल पसंद करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया , मेहरबानी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2016 at 11:43am

 आ0 भाई तस्दीक अहमद जी सुंदर गजल हुई है  हार्दिक बधाई ।
 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on February 17, 2016 at 8:41am

जनाब तश्दीक भाई जी,  शानदार नफासत से भरपूर इस वज़नी गज़ल के लिये दाद कुबूल फरमाएं, सादर

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 15, 2016 at 9:11pm

जनाब शेख़ शहज़ाद उस्मानी  साहिब , हिम्मत से लबरेज़ कमेंट्स और  हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 15, 2016 at 9:08pm

जनाब नीलेश नूर साहिब ,  हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 15, 2016 at 12:28pm
दर्द भी है ग़म भी इनमें
अशआर कभी हँसा, कभी रुला रहे हैं।....... बेहतरीन सम्पूर्ण ग़ज़ल के लिए तहे दिल बहुत बहुत मुबारकबाद जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहब। दिलचस्पी यूँ बढ़ती गई कि और अशआर पाठक माँग रहे हैं!
Comment by Nilesh Shevgaonkar on February 15, 2016 at 9:47am

वाह ..बहुत खूब

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 14, 2016 at 8:30pm

मोहतरमा राहिला साहिबा ,  ग़ज़ल पसंद करने और हौसलाअफजाई का तहेदिल से शुक्रिया , महरबानी

Comment by Rahila on February 14, 2016 at 8:08pm
बहुत, बहुत खूब,शानदार ग़ज़ल हुई । बहुत बधाई आदरणीय खान साहब!सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service