For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निन्यानबे के फेर में

हूँ मैं  

लोग देखते है मुझे

ईर्ष्या से या हिकारत से

क्योंकि वे जानते हैं

केवल और केवल एक मुहावरा 

मानव की कमजोर वृत्ति का

धन संचय की उत्कट प्रवृत्ति का

उन्हें यह  पता ही नहीं कि

मुहावरे के पीछे होता है

कोई चिरंतन सत्य या एक इतिहास  
और बहुत सारे मायने

वे सोचते भी नहीं

कि निन्यानबे वे वैशिष्ट्य भी हैं  

जिनके आधार पर  उस ऊपर वाले के है

निन्यानबे नाम

जिसे हम ‘कहते हैं ‘अल्लाह’

खुदा या परवरदिगार

तब क्या फर्क पड़ता है कि

कोई ईर्ष्या, हिकारत या हैरत से

देखता है मुझे यदि मैं हूँ

अपने आप में आत्ममुग्ध

आत्मलीन, बेसुध, आवेशित  

निन्यान्बे के फेर मे 

मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 549

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 29, 2015 at 12:05pm

आ० उस्मानी जी - आपका आभार .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 29, 2015 at 12:04pm

डा०  आशुतोष जी - अनुगृहीत हुआ 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 29, 2015 at 12:03pm

आ०मनन कुमार जी- बहुत बहुत शुक्रिया . 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 29, 2015 at 12:02pm

आ० सतविंदर जी - आभार . 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 28, 2015 at 10:55pm
बड़ी बारीकी और आध्यात्मिक दार्शनिक गहराई से मुहावरे का सी.टी.स्केन या एम.आर.आइ.करके मुहावरों के पुनः विश्लेषण करने की प्रेरणा देती उम्दा प्रेरक सकारात्मक चिंतन का सृजन करती हुई रचना के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 28, 2015 at 7:56pm

चिंतन को एक नया आयाम और सोच को नयी दिशा ..नए मायने देती इस रचना के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Manan Kumar singh on December 28, 2015 at 5:27pm
'निन्यानबे के फेर' की नयी और रोचक अवधारणा,बधाई ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 28, 2015 at 12:58pm
निन्यान्नबे का फ़ेर जरुरी लगता हुआ।किसी की ईर्ष्या,हिकारत या हैरत क्या कुछ कर लेगीलेगी जब रहो आत्ममुग्ध इस फेर में।सुंदर सृजन।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम. . . . उल्फत

दोहा दशम - ..... उल्फतअश्कों से जब धो लिए, हमने दिल के दाग ।तारीकी में जल  उठे, बुझते हुए चिराग…See More
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
2 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"उत्तम प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"वाह बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी झूठ पर आधारित सुन्दर दोहावली का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई ।सर क्या दोहे में…"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)-----------------------------देवलोक भी जोहता,चकवे की ज्यों बाट।संत सनातन संग…See More
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Feb 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service