For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -नूर -कितनी सादा-दिली से मिलता है

२१२२/१२१२/२२ 
कितनी सादा-दिली से मिलता है
जब समुन्दर नदी से मिलता है.
.
इक नयी कायनात पनपेगी    
कोई भौंरा कली से मिलता है.  
.
रब्त इस बात पर टिके हैं अब
कोई कितना किसी से मिलता है.
.
हर किसी से यही वो कहते हैं
दिल मेरा आप ही से मिलता है. 
.
अब सुमंदर में भी है बे-चैनी
क़तरा अपनी ख़ुदी से मिलता है.
.
सुब’ह से पहले जुगनू यूँ चमका
गोया लम्हा सदी से मिलता है.

मौत से क्या पता मिले क्या कुछ
दर्द.... हाँ ...ज़िन्दगी से मिलता है.
.
मुफ़्लिसी से गुज़र रहा होगा
आजकल वो सभी से मिलता है.
.
नाच उठती हैं बृज की सब गलियाँ
श्याम जब बाँसुरी से मिलता है.
.
‘नूर’ अहसास-ए-कमतरी क्यूँ हो
अपना शजरा उसी से मिलता है.

.
निलेश "नूर"

Views: 1005

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on May 27, 2015 at 8:32pm
मौत से क्या पता मिले क्या कुछ
दर्द.... हाँ ...ज़िन्दगी से मिलता है.... सत्य वचन .... बहुत खूब ....
रब्त इस बात पर टिके हैं अब
कोई कितना किसी से मिलता है......वाह वाह ... सत्य वचन ...
नूर’ अहसास-ए-कमतरी क्यूँ हो
अपना शजरा उसी से मिलता है.... आत्मविश्वास से लबरेज़ .... वाह वाह ...
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है आ. निलेश भाई ... वाह वाह

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 27, 2015 at 8:01pm

वाह आदरणीय निलेश भैया बेहतरीन असरदार ग़ज़ल है

Comment by विनय कुमार on May 27, 2015 at 5:58pm

मौत से क्या पता मिले क्या कुछ
दर्द.... हाँ ...ज़िन्दगी से मिलता है.
मुफ़्लिसी से गुज़र रहा होगा
आजकल वो सभी से मिलता है.
वाह , वाह , क्या कमाल की पंक्तियाँ हैं , बहुत बहुत बधाई आदरणीय.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 27, 2015 at 3:43pm

शुक्रिया आ. सुलभ जी 

Comment by Sulabh Agnihotri on May 27, 2015 at 1:17pm

कितनी सादा-दिली से मिलता है
जब समुन्दर नदी से मिलता है.

मौत से क्या पता मिले क्या कुछ 
दर्द.... हाँ ...ज़िन्दगी से मिलता है.

मुफ़्लिसी से गुज़र रहा होगा 
आजकल वो सभी से मिलता है.

नाच उठती हैं बृज की सब गलियाँ 
श्याम जब बाँसुरी से मिलता है.
.
‘नूर’ अहसास-ए-कमतरी क्यूँ हो 
अपना शजरा उसी से मिलता है.

बहुत सुन्दर है नूर साहब

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 27, 2015 at 12:29pm

शुक्रिया आ. डॉ साहब ..
क़तील शिफ़ाई साहब का ये शेर देखें 
.
मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने
ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको।
.
सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 27, 2015 at 12:06pm

नूर भाई

लाजवाब गजल -

मुफ़्लिसी से गुज़र रहा होगा
आजकल वो सभी से मिलता है.----नूर भाई मैं  आपकी गजल पर कुछ कहूं इतना इल्म नहीं है पर मुझे लगता है कितनी सादा दिली के बजे कितना सदा दिली ज्यादा अच्छा होगा . आपके मार्गदर्शन की प्रतीक्षा रहेगी. सादर .

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 27, 2015 at 11:34am

आ० nilesh सर... 'भाई' और 'साहब' एक साथ अच्छा नही लग रहा! या तो भाई हो या तो साहब!

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 27, 2015 at 11:31am

शुक्रिया भाई 'जान गोरखपुरी' साहब 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 27, 2015 at 11:30am

शुक्रिया आ. समर कबीर साहब ..
आपकी दाद पाकर गदगद हूँ 
आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service