221 2121 1221 212
जो होना था फ़रेब का अंजाम हो गया
इक मुह्तरम जहान में बदनाम हो गया
आफ़ाक़ के सफर में नहीं मिलती मंज़िलें
हैरत नहीं अगर कोई नाकाम हो गया
जलने लगे चराग सितारे चमक उठे
दीदारे ताबे हुस्न सरे शाम हो गया
बेदार शब तमाम जला चाँद अर्श पर
जाहिर जुनूने इश्क़ सरे बाम हो गया
तेरी मुहब्बतों से मुनव्वर किया दयार
आलम फ़रोज़ शम्स को आराम हो गया
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ0 भाई शिज़्जू जी,
सुंदर ग़ज़ल. हार्दिक बधाई,
जनाब शिज्जु साहब गज़ल का हर शेर लाजवाब है, दिल को छू रहा है। हमारी तरफ से इस बेहतरीन गजलगोई के लिए मुबारकबाद ....
रचना की सराहना के लिए मैं आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ
आ0 भाई शिज़्जू जी, सुंदर ग़ज़ल हुई है, हार्दिक बधाई,
जो होना था फ़रेब का अंजाम हो गया
इक मुह्तरम जहान में बदनाम हो गया...बहुत बढ़िया
आफ़ाक़ के सफर में नहीं मिलती मंज़िलें
हैरत नहीं अगर कोई नाकाम हो गया..........बहुत खूब ,हार्दिक बधाई आदरणीय शिज्जु सर ! सादर
बहुत सुन्दर गजल। ढेरों दाद कुबूल करें। सादर |
बहुत ख़ूब..... अच्छे तरही मुशायरे की एक पहचान ये भी है ...कि उसी काफिये और बहर पर एक दो और भी अच्छी ग़ज़ले बन जाती हैं.
एक शेर आपको दिए जाता हूँ ..
परवरदिगार तेरे करम से हुई ग़ज़ल
तूने किया कमाल मेरा नाम हो गया.
.
सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online