For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डाक्टर कहते है

स्वस्थ आनंदित जीवन के लिए

हंसो

ठठाकर हंसो , खिलखिलाकर हंसो

आकाश गुंजा दो ,अट्टहास करो

तभी तो

शरीर से झरेगा

ऐंडोर्फिन रसायन

जो हृदय को रखेगा मजबूत

नष्ट होंगे बैक्टीरिया, वायरस

सशक्त होगा प्रतिरक्षातंत्र

 

 

पर हंसू कैसे ?

बचपन में कोई फिसल कर गिरता

कीचड में सनता 

या चिडिया करती बीट

तब हम ताली बजा कर हँसते

लोट-पोट हो जाते

मै और मेरी बहन हम, सब हमजोली

हंसने का जतन करते

माँ भी जानती थी

हंसने के फायदे

कभी वह खिलाती, कभी लाड़ करती

कभी गुदगुदाती , कभी चूम लेती 

 

रात को हम सुनते दादी के खर्रान्टे 

हंसी दबा कर हँसते   

पर ज्वार सी उमड़ती

वह दबी हंसी

किसी विस्फोट सी

वह हंसी, जो रुकना न जानती

कन्टेजियस हंसी

जिसे आज के बच्चे शायद नहीं जानते

माँ तब दान्त पीस उठती

लगाती दो चांटे

फिर हम सुबकते, सो जाते 

 

कभी हम देखते बहन को पिटते

बड़ा मजा आता

ऊपर से सहमा रहता

अन्दर से हँसता

बड़ी दादी बनती थी, खूब गयी कूटी

यह थी चुप हंसी, आह्लादकारी

बहन पास आती –‘गुड चना खाओगे,

माँ ने दिए हैं ‘

मै हंसी भूल जाता

फिर वह सुनाती, ढेर सारे चुटकुले

सुनकर हंसी आती

हम मिल कर हँसते

       

आज भी हम मिलकर

आफिस में हँसते है

अफसर के सामने खीसे निपोरकर

एक चाटुकार हंसी, एटीकेट लाफ्टर

घर में भी हंसी नहीं

हंसी किसी को आती नहीं

भूल गए हम सारे सेन्स ऑफ़ ह्यूमर

अब तो हंसाते है हमें कपिल शर्मा

राजू श्रीवास्तव उनके हमपेशा

पर मुझे इन विदूषको पर

शुष्क हँसी आती है 

 

हँसना अंतर का सुप्त आह्लाद है

मरे हुए अन्तर में क्या रसवाद है

अब तो गुदगुदी से भी

हंसी मुझे आत्ती नहीं  

मरे हुए मन को गुदगुदी हंसाती नहीं

दोस्तों ,कहते हुए सचमुच हंसी आती है

अब तो यह गुदगुदी मुझे बरबस रुलाती है I

(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 971

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 27, 2014 at 7:23pm

आदरणीय योगराज जी

आपकी अप्रतिम टिप्पणी गुदगुदा गयी  i  सादर i


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 27, 2014 at 12:26pm

बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति। यह सत्य है कि हंसी शायद आज की अटपटी जीवन शैली का हिस्सा ही नहीं रह गई है। इसकी कमी हालांकि महसूस भी की जा रही है, लेकिन शायद अब हालत इस अनमोल चीज़ को हम से छीन चुके हैं। इस अद्वितीय रचना हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित है आ० डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी।   

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 27, 2014 at 11:46am

जवाहर लाल जी

आपके  प्रोत्साहन का सादर आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 27, 2014 at 11:46am

महर्षि जी

आभार i  सस्नेह i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 27, 2014 at 11:45am

आदरणीय निकोर जी

सादर आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 27, 2014 at 11:44am

आदरणीय हरिवल्लभ जी

आपका  बहुत बहुत आभार i

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on November 26, 2014 at 10:32pm

मरे हुए मन को गुदगुदी हंसाती नहीं

दोस्तों ,कहते हुए सचमुच हंसी आती है

अब तो यह गुदगुदी मुझे बरबस रुलाती है I

बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय श्री गोपाल नारायण साहब....

Comment by maharshi tripathi on November 26, 2014 at 6:42pm

आजकल की हँसी की ,सुन्दर प्रस्तुति  सर,बधाई स्वीकारें |

Comment by vijay nikore on November 26, 2014 at 5:33pm

हँसी पर बहुत ही सशक्त रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय गोपाल नारायन जी।

Comment by harivallabh sharma on November 26, 2014 at 3:30pm

हँसी जीवन के अमृत का कार्य करती है...हम खुलकर हँसते थे..खुद भी और दूसरों को हंसाते थे..पर आज जीवन एटीकेट मय हो गया घर दफ्तर अब भारी बोझिल हो गए ऐसे में हंसने की बजाये हसांने पर भी रोना आता  है...विभिन्न आयामों को छूती सुन्दर प्रेरक रचना हेतु बधाई आदरणीय डॉ श्रीवास्तव जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
30 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
34 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
35 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
36 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
36 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
38 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
40 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
54 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service