For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएँ

1.
थम गई
गर्जन मेघों की
दामिनी भी
शरमा गयी
सावन की पहली बूँद
उनकी ज़ुल्फ़ों से टकरा गयी
............................................
2.
साया जवानी का
अंजाम देख
घबरा गया
वर्तमान की
टूटी लाठी से
भूतकाल टकरा गया
..............................................
3.
किसकी जुदाई का दंश
पाषाण को रुला गया
लहरों पे झील की
आसमाँ का चाँद
बस तन्हा 
रह गया
..............................................
4.
वेगवती समीर
वातायन के पट खामोश
नयन देहरी द्वारे
गठरी बन बैठी
परदेशी पी की याद
............................................
5.
हर रंग में
खुदा संग होता है
रंग देख के इंसान के
खुदा भी दंग होता है
छोडो मज़हब के झगड़े
मज़हब में तो बस
मुहब्बत का रंग होता है

.

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on October 30, 2014 at 11:37am

आदरणीय     Alok Mittal जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on October 30, 2014 at 11:37am

आदरणीय     vijay nikore जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on October 30, 2014 at 11:36am

आदरणीय     rajesh kumari जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on October 30, 2014 at 11:35am

आदरणीय     लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on October 30, 2014 at 11:34am

आदरणीय    narendrasinh chauhan जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on October 30, 2014 at 11:34am

आदरणीय   somesh kumar  जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on October 30, 2014 at 11:33am

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  जी क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया , आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Alok Mittal on October 29, 2014 at 6:06pm

वाह बहुत सुंदर भाई जी ....सुंदर बहुत सुंदर क्षणिकाएँ हैं। बधाई।

Comment by vijay nikore on October 29, 2014 at 3:42pm

बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ हैं। बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 29, 2014 at 11:52am

सुन्दर क्षणिकाएँ ...हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service