For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपना - अपना सच -- डा० विजय शंकर

अपना - अपना सच
------------------------

उसने सच का नाम लिया
लोगों ने उसे झूठा कहा ,
उसने सच बोलना चाहा ,
लोगों ने उसे बोलने न दिया ,
वो सच बोले बिना चला गया .
लोगों ने राहत की सांस ली ,
एक दूसरे से पूछा , " सच " !
गया ........, चला गया
कितना अच्छा हुआ ।

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 29, 2014 at 7:54pm

कम से कम शब्दों में आपने बहुत कुछ कह दिया … आदरनीय विजय शंकर जी!

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 29, 2014 at 4:47pm
आदरणीय गिरिराज जी , बधाई के लिए धन्यवाद . सही कहा आपने एक सारभौमिक सत्य को छोड़ कर सबका सच अलग अलग होता है , पर कुछ उस अपने सच की कभी बात ही नहीं करते हैं , उसे कई कई तरह से छिपा कर रखते है . अपनी एक अन्य कविता की प्रथम दो पक्तियां लिख रहा हूँ , देखिये ,
हे सत्य ! तुझे क्यों नहीं
हम जीवन में ला पाते हैं ?
जब भी तेरी बात आये हम
परमात्मा पर चले जाते हैं .
--------------------------
और तब हमें सोचना पड़ता है ,does the truth prevail or it always remains in veil and doesnt come out of veil .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 29, 2014 at 11:48am

आदरनीय विजय शंकर भाई , एक सार्वभौमिक सच को छोड़ कर बाक़ी सभी सच हर व्यक्ति का अपना अलग होता ही है । सुन्दर चिंतन के लिये आपको बधाई ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 29, 2014 at 10:20am
आदरणीय जितेंद्र जी, रचना पसंद आई आपको , बहुत बहुत धन्यवाद . सच के लिए सत्यवाद.
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 29, 2014 at 9:23am

आपकी छोटी सी रचना, बहुत सशक्त सन्देश दे रही है. यहाँ सबके अपने-अपने सच है चाहे वो किसी को हजम हो न हो वरना //गया....,चला गया  कितना अच्छा हुआ //  :)))  हार्दिक बधाई आपको आदरणीय डा.विजय जी

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 29, 2014 at 12:52am
बहुत बहुत धन्यवाद आ o गोपाल नरायन जी , सादर .
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 28, 2014 at 12:47pm

आदरणीय

कम् शब्दों  में सारगर्भित कहने हेतु बधाई i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service