वादों की ..सडकों पे
कसमों के …गाँव हैं
प्रणय के ..पनघट पे
आँचल की ..छाँव है
…वादों की सडकों पे
…कसमों के गाँव हैं
प्रीतम की ……बातें हैं
धवल चांदनी …रातें हैं
सुधियों की .पगडंडी पे
अभिसार के ….पाँव हैं
…वादों की सडकों पे
…कसमों के गाँव हैं
शीत के …धुंधलके में
घूंघट की …..ओट में
प्रतिज्ञा की .देहरी पर
तड़पती एक .सांझ है
…वादों की सडकों पे
…कसमों के गाँव हैं
आराध्य की ..प्रतीक्षा में
प्रेम की ……..परीक्षा में
अधखुली …...पलकों में
मिलन के …..तूफ़ान हैं
…वादों की सडकों पे
…कसमों के गाँव हैं
नयनों के ….नीर में
अधरों की …पीर में
विरह की .समीर में
एक दर्द की .तान हैं
…वादों की सडकों पे
…कसमों के गाँव हैं
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय कुंती मुख़र्जी जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार
आदरणीय डा गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया ने रचना को जो मान दिया है उसके लिए आपका हार्दिक आभार
वाह्ह्ह्ह
अतिसुन्दर रचना है मान्यवर बधायी
नयनों के नीर में
अधरों की पार में
विरह की समीर में
एक दर्द की तान है
वाहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहह
अति सुन्दर। बधाई, आदरणीय सुशील जी।
सादर,
विजय निकोर
आराध्य की ..प्रतीक्षा में
प्रेम की ……..परीक्षा में
अधखुली …...पलकों में
मिलन के …..तूफ़ान है......बहुत सुंदर
शुभकामनाएँ
सरना जी
आप सदीव ही अच्छा लिखते है i
इस बार भी जबरदस्त भाव है i
वादे और कसमे यही तो युवा धड़कने है
और जब वादों की सडको पर कसमो के गाँव हो
तो धडकनों की रफ़्तार क्या होगी ? बधाई हो i
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