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कभी तो मेरी बेकरारी को देख लो

कहीं वक्त बीत न जाये नज़रें चुराने में

 

सहन होती है तन्हाई जिन्हें और गम नहीं जुदाई का

ऐसे दिलफेंक आशिक कहाँ मिलते हैं ज़माने में

 

मेरी नामोजूदगी को मेरी बेवफाई न समझना

नज़र आएगी मेरी चाहत मेरे बहाने में 

 

रो कर लिपट जाती हो तुम गुस्ताखी पे मेरी

देख कितना अदब है मेरा तुझको सताने में

 

मेरी साँसों में ही पढ़ लेना मेरा हाल-ए-दिल

मुश्किल होती है मुझे प्यार जताने में

 

लोग मेरी खुशमिजाजी की मिसाल आज भी देते हैं

फिर जाने क्यों नाकाम हूँ में तेरा गम भुलाने में

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Comment

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Comment by Bhasker Agrawal on January 12, 2011 at 11:55pm
सभी को धन्यवाद

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 12, 2011 at 6:24pm

बेहतरीन ख्यालात है भाष्कर भाई , हलाकि यह ग़ज़ल बगैर मतले का है , थोडा ध्यान दे, सुंदर ख्यालात हेतु बधाई |

Comment by विवेक मिश्र on January 12, 2011 at 4:46pm
/

मेरी साँसों में ही पढ़ लेना मेरा हाल-ए-दिल

मुश्किल होती है मुझे प्यार जताने में
/

waah-waah. kya kahne hain iss sher ke.. bahut khoob.

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"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
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