For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँद नज़र ना आया तो गम है क्या
सितारों का साथ पाया ये कम है क्या

में तो खुद पे यकीन करता हूँ
नहीं जानता में के भरम है क्या

ना कर तू ज़ाहिर मुझको ख्वाइश अपनी
तेरी जरूरत में शामिल हम है क्या

चाहत मेरी मेरे ख्वाबों में बरसती है
नहीं पूछती मुझसे के सनम है क्या

क्या तू अपने अश्कों का असल जान सकता है
देख आरजू में तेरी इतना दम है क्या

Views: 356

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Bhasker Agrawal on January 14, 2011 at 10:06am

विवेक जी और गणेश जी को धन्यवाद

और आप लोगों के दिए गए सुझवो के लिए विशेष धन्यवाद


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 13, 2011 at 8:26pm

भाष्कर भाई सुंदर ख्यालात हेतु बधाई , अच्छी ग़ज़ल कही है , सुधार की गुन्जाईस हर जगह होती है , विवेक भाई ने कुछ सुझाव दिया है किन्तु वो अपनी बात को मुक्कमल नहीं कर पाये है शायद ?

क्योकि यदि उनके अनुसार मतला कही जाय तो रदीफ़ "क्या गम है" नहीं होगा, बल्कि सिर्फ "है" होगा, और "म" शब्द से काफिये का निर्वहन करना होगा |

बहरहाल इस ग़ज़ल पर दाद स्वीकार करे |

Comment by विवेक मिश्र on January 13, 2011 at 2:14pm

/में तो खुद पे यकीन करता हूँ
नहीं जानता में के भरम है क्या /
उम्दा ख्याल है भास्कर जी. हार्दिक बधाई.


मतले के मिसरा-ए-उला में रदीफ़ 'है क्या' की जगह 'क्या गम है', भाव को और सही तरीके से उजागर करता है. एक बार पढ़कर देखें.

"चाँद नज़र ना आया तो क्या गम है
सितारों का साथ पाया ये क्या कम है"


बाकी, आप अपने विचारों के लिए स्वतंत्र हैं.

Comment by Bhasker Agrawal on January 13, 2011 at 12:02pm
धन्यवाद वीरेंद्र जी
Comment by Veerendra Jain on January 13, 2011 at 11:11am

क्या तू अपने अश्कों का असल जान सकता है
देख आरजू में तेरी इतना दम है क्या

 

Bahut badhiya.. Bhaskar ji...bahut bahut badhai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
13 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service