For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा राम आयेगा
नित्य मुँह अंधेरे फूल चुन चुन
गली आंगन थी रही सजा,
एक आस एक चाह लिये
कही शबरी - '' मेरा राम आएगा ''.

शाम ढल जाती सूरज थकता
देकर अंतिम किरण जाता,
एक अटूट विश्वास बढ़ाता,
कहती शबरी - '' मेरा राम आएगा ''.

बचपन गया , जवानी बीती
पलक बिछाए राह निहारती,
प्रौढ़ा दिनभर मगन रहती
कहती शबरी - '' मेरा राम आएगा ''.

वन उपवन भी थक चले
बोले ' तू बूढ़ी हो गयी , जा
कहीं विश्राम कर , छोड़ ये जिद्द '
शबरी बोली - '' मेरा राम आएगा ''.

यमराज भी कहने लगा
' उठ गया अब तेरा दाना '
' ठहर ! एक पल और ठहर !! '
शबरी ने कहा - '' मेरा राम आएगा ''.

शबरी -
आज मेरा मन क्यों है बेचैन
'' गेंदा चमेली और महक -
सुन रही मैं प्रभु की पगध्वनि,
रजनीगंधा तू खूब गमक ''.

राम –
इस बीहड़ को किसने सजाया ?
रंग बिरंगे फूलों से पथ ऐसा !
'' लक्ष्मण ! है कौन मायावी ?
देख भाई बढ़के तो ज़रा ! ''
लक्ष्मण धनुष – बाण लिये
आश्चर्य से था देख रहा,
कोई मंत्र जाप कर रही थी
अविराम '' मेरा राम आएगा ''.

राम भी आ गया खिंचा
अभिभूत हुआ भक्ति देख -
धरती आकाश पल में स्तब्ध
सुवासित राममय कुटिया निरेख,
शबरी की तपस्या हुई सफल
यह विश्वास था या सबर,
एक दर्शन मात्र के लिये
पूरा जीवन था न्यौछावर .

( राम – शबरी )
कुछ पकी कुछ अधपकी
शबरी थी बेर खिला रही
‘यह लो प्रभु ! नहीं ! ये तो हैं खट्टे’
हाथ बढ़ाकर पल में थी खींच रही -
राम मुस्कुराते रहे मंद मंद,
शबरी दुविधा में थी कैसे दूँ
कहीं बेर खट्टे निकले तो...''
समझ गये राम शबरी की मनसा
'' तुम पहले चखकर बेर मुझे दो ''
सुनकर राम की बात चौंका लखन
'' शबरी रूको ! अनर्थ मत करो ''

तब तक राम जूठे बेर थे खा रहे,
शबरी चख चख के थी खिला रही,
हो रहे थे राम शबरीमय – और
शबरी राममय थी हो रही.
( मौलिक एवं अप्रकाशित रचना )
--- कुंती

Views: 784

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by coontee mukerji on April 20, 2013 at 3:14am

सभी विद्व जनों को मेरा प्रणाम एवं रामनवमी के शुभ अवसर पर सभी को मंगलकामनाएँ....सादर ...कुंती .

Comment by बृजेश नीरज on April 17, 2013 at 3:55pm

बहुत सुन्दर प्रयास! शबरी की तपस्या और राम के भक्तों के प्रति प्रेम को रेखांकित करती इस रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकारें।

Comment by Yogi Saraswat on April 17, 2013 at 11:46am

इस बीहड़ को किसने सजाया ?
रंग बिरंगे फूलों से पथ ऐसा !
'' लक्ष्मण ! है कौन मायावी ?
देख भाई बढ़के तो ज़रा ! ''
लक्ष्मण धनुष – बाण लिये
आश्चर्य से था देख रहा,
कोई मंत्र जाप कर रही थी
अविराम '' मेरा राम आएगा ''.

राम भी आ गया खिंचा
अभिभूत हुआ भक्ति देख -
धरती आकाश पल में स्तब्ध
सुवासित राममय कुटिया निरेख,
शबरी की तपस्या हुई सफल
यह विश्वास था या सबर,
एक दर्शन मात्र के लिये
पूरा जीवन था न्यौछावर .

बहुत बहुत खूबसूरत शब्द और उतने ही सुन्दर भाव , आदरणीय कुंती जी ! सुन्दर शब्दों को यहाँ तक लाने के लिए दिल से बधाई स्वीकार करें !

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 16, 2013 at 8:26pm

शबरी की तपस्या हुई सफल
यह विश्वास था या सबर,
एक दर्शन मात्र के लिये
पूरा जीवन था न्यौछावर .......वाह! बहुत बढ़िया.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 16, 2013 at 7:47pm

प्रभु राम और शबरी के प्रसंग को भावनात्मक स्तर पर महसूस करते हुए काव्य रूप देने का सुन्दर प्रयत्न हुआ है..

इस सद् प्रयास के लिए बधाई आ० कुंती मुखर्जी जी 

Comment by vijay nikore on April 16, 2013 at 2:37pm

आदरणीया कुंती जी:

 

राम-भक्ति की कथा ...ऐसी कविता के माध्यम पहले कभी सुनने को नहीं मिली।

आपको बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijayashree on April 16, 2013 at 1:33pm

शबरी के रामजी के प्रति अगाध स्नेह और विश्वास को बहुत खूबसूरती से चित्रित किया है आपने कुन्तिजी .

हार्दिक बधाई  

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 16, 2013 at 1:12pm

निश्च्छल प्रेम से पगी रचना के लिए आपका साधुवाद 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 16, 2013 at 10:10am

मन में श्रद्धा और द्रड विश्वास की राम भक्त सबरी की भक्ति पर सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई आदरणीया कुंती मुखर्जी 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 16, 2013 at 9:07am

आदरणीया, कुन्ती मुखर्जी जी, सुप्रभात! अतिसुन्दर प्रेम भक्ति भाव, बधाई स्वीकारें। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
55 minutes ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली अपने थीम के अनुरूप ही प्रस्तुत हुई है.  हार्दिक बधाई "
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली के लिए हार्दिक धन्यवाद.   यह अवश्य है कि…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी प्रस्तुति आज की एक अत्यंत विषम परिस्थिति को समक्ष ला रही है. प्रयास…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आवारा मदमस्त सी, नभ में उड़े पतंग ।बीच पतंगों के लगे, अद्भुत दम्भी जंग ।।  आदरणीय सुशील…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"दुःख और कातरता से विह्वल मनस की विवश दशा नम-शब्दों की रचना के होने कारण होती है. इसे सुन्दरता से…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढिया भावाभिव्यक्ति, आदरणीय. इस भाव को छांदसिक करें तो प्रस्तुति कहीं अधिक ग्राह्य हो जाएगी.…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service