For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

झुलसाई ज़िन्दगी ही तेजाब फैंककर ,

 

 Pakistani Shiite Muslim women. Credit: Getty Images

 

झुलसाई ज़िन्दगी ही तेजाब फैंककर ,
दिखलाई हिम्मतें ही तेजाब फैंककर .

अरमान जब हवस के पूरे न हो सके ,
तडपाई  दिल्लगी से तेजाब फैंककर .

ज़ागीर है ये मेरी, मेरा ही दिल जलाये ,
ठुकराई मिल्कियत से तेजाब फैंककर .

मेरी नहीं बनेगी फिर क्यूं बने किसी की,
सिखलाई बेवफाई तेजाब फैंककर .

चेहरा है चाँद तेरा ले दाग भी उसी से ,
दिलवाई निकाई ही तेजाब फैंककर .

 

 देखा है प्यार मेरा अब नफरतों को देखो ,
झलकाई मर्दानगी तेजाब फैंककर .

 

 शैतान का दिल टूटे तो आये क़यामत ,
निपटाई हैवानगी तेजाब फैंककर .

 

 कायरता है पुरुष की समझे बहादुरी है ,
छलकाई बेबसी ही तेजाब फैंककर .

 

 औरत न चीज़ कोई डर जाएगी न ऐसे ,
घबराई जवानी पर तेजाब फैंककर .

उसकी भी हसरतें हैं ,उसमे भी दिलावरी ,
धमकाई बेसुधी ही तेजाब फैंककर .

 

 चट्टान की मानिंद ही है रु-ब-रु-वो तेरे ,
गरमाई ''शालिनी'' भी तेजाब फैंककर .

       शालिनी कौशिक
             [कौशल]

Views: 412

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shalini kaushik on May 17, 2013 at 12:55am

thanks ram shiromani i .

Comment by ram shiromani pathak on May 16, 2013 at 1:34pm

सुन्दर भावों की रचना के लिए बधाई शालिनी कौशिक जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 4, 2013 at 2:10pm

आदरेया शालिनी जी एक कटु और बुरा सत्य जो आज के समाज में व्याप्त है, समाज की खोखली कुरीतियों के विरुद्ध तेजाब भी कम है. सजा तो ऐसी हो न जिया जाए और न मरा जाए. खैर आपकी लेखनी में आक्रोश को देखकर बहुत ही अच्छा लगा. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 4, 2013 at 9:13am

सुन्दर भावों की रचना के लिए बधाई शालिनी कौशिक जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 3, 2013 at 9:31pm

भाव हमेशा की तरह शानदार हैं हार्दिक बधाई शालिनी जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 3, 2013 at 9:24pm

बहुत अच्छे भाव पिरोये हैं आपने .................सादर बधाई आपको

गुरुजनों के कहे को समझ उसमे अमल करेंगे तो प्रयास और भी सुखद हो जाएगा

सादर

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 3, 2013 at 8:31pm

आदरणीया शालिनी कौशिक जी सादर तेज़ाब को हथियार के रुप में इस्तेमाल पर आपने बहुत खूब लिखा है. हमारी सरकार को भी क्या रहम आया इन दरिंदों पर की गैर जमानती से इसे जमानती जुर्म में शामिल कर लिया है.सुन्दर रचना. गजल के विधान को समझकर लिखें तब एक उम्दा गजल तैयार होने को बेताब नजर आ रही है. सुन्दर रचना पर बधाई स्वीकारें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 3, 2013 at 7:19pm

आदरणीया शालिनी कौशिक’कौशल’ जी, मुझे गजल तो पसंद है पर कभी लिखा नहीं। आप द्वारा प्रस्तुत गजल में भाव,  अंगार, दर्द तथा कुछ करने का हौसला तो बुलन्द है किन्तु जैसा कि गुरूवर जी ने कहा काव्यगत विधान अवश्य देखें। सुन्दर। सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2013 at 5:42pm

एक अच्छी भाव दशा और सुदृढ कहन अनगढ़ विधा और असहज काव्य-साधन के कारण दोयम भर हो कर रह गयी है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
8 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service