For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिन कहीं छुप खो गया है, रात भी बाकी नहीं।

मुश्किलें हैं हर कदम पर, बात बन पाती नहीं।।

 

इक दफा दिल पे कभी, जो राज कोई कर गया।

दूरियां हों लाख चाहे, याद फिर जाती नहीं।।

 

दिल्लगी कर दिल दुखाना, ठीक ये आदत नहीं।

पास तेरे दिल नहीं, तू और जज्बाती नहीं।।

 

नाज तेरी मैं वफ़ा पे, रात दिन करता रहा।

बेवफा तेरी कहानी पर, जुबाँ गाती नहीं।।

 

जख्म गर नासूर बनके, जिस्म को छलनी करे।

मौत है ये जिंदगी, जो मौत कहलाती नहीं।।

Views: 523

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 17, 2012 at 12:00pm

शुक्रिया अशोक सर अपना स्नेह व आशीष यूँ ही बनाये रखें

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 16, 2012 at 12:27am

अरुण जी

         सादर, सुन्दर गजल वाह दाद काबुल फरमाएं.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2012 at 12:04pm

बहुत-2 शुक्रिया आदरेया राजेश कुमारी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 3, 2012 at 10:21pm

प्रिय अरुण बहुत शानदार ग़ज़ल लिखी है सभी शेर काबिले तारीफ हैं दाद कबूल कीजिये 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 3, 2012 at 5:08pm

ह्रदय के अन्तःस्थल से शुक्रिया सर

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on December 3, 2012 at 3:56pm

अरुन जी बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने...और ये एक शेर तो पूरी ग़ज़ल पर भरी पद गया है....माँशाल्लाह क्या लाजवाब शेर हुआ है॥

इक दफा दिल पे कभी, जो राज कोई कर गया।

दूरियां हों लाख चाहे, याद फिर जाती नहीं।।

दिली दाद कुबूल करें !

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 3, 2012 at 11:20am

आदरणीय योगराज सर आपकी टिप्पणियां मेरे लिए बेहद मायने रखती हैं, मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता, अनेक-2 धन्यवाद सर


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 3, 2012 at 11:16am

सुन्दर ग़ज़ल, सुन्दर भाव। हार्दिक शुभ-कामनाएं अरुण शर्मा जी।

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 3, 2012 at 11:09am

शुक्रिया मेहरबानी वीनस भाई आपसे ही सीख रहा हूँ, अनेक-2 धन्यवाद आपको

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 3, 2012 at 11:07am

आदरणीय अरुण सर ह्रदय के अन्तःस्थल से शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
22 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service