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पञ्च हाइकू

१.

कर ले कर्म

बस यही है धर्म

जीवन मर्म 

 

२.

छाये बहार.

आत्मिक अभिसार

प्यार में धार .

 

३.

जुड़ें बेतार

जोड़ ले लगातार  

दिलों के तार

 

४.

मन मुस्काए  

किस्मत बन जाए

क्यों घबराए 

५.

त्याग दे स्वार्थ

स्वीकार परमार्थ

उठ जा पार्थ

--अम्बरीष श्रीवास्तव

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Comment

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Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on July 27, 2012 at 12:23pm

बहुत सुन्दर हाइकु, बधाई।

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 27, 2012 at 11:57am

बहुत ही खूबसूरती से सजी हैं सारी हाइकू.....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 27, 2012 at 11:01am

सभी हाइकु में जीवन के बेहतरीन तार जुड़े हैं सन्देश परक हाइकु बहुत खूब 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 8:38am

स्वागत है मित्र अशोक जी, हाइकू को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार ....

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 8:37am

धन्यवाद भाई कुमार गौरव अजीतेंदु जी ! आपका स्वागत है !

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 27, 2012 at 8:34am

आदरणीय अम्बरीश जी      

                         सादर, पांच हाइकू में जीवन का सारा सार उंडेलने का सफल प्रयास. वाह!

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 27, 2012 at 7:39am
आदरणीय अम्बरीश जी, सुन्दर हाइकु। बधाई।

दोहे के सम्बन्ध में मेरी शंकाओं का समाधान आपने किया आपका आभारी हूँ। आगे भी मार्गदर्शन करते रहिएगा। आभार।

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