For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Er. Ambarish Srivastava's Blog (37)

ओबीओ परिवार की ओर से सभी को नववर्ष की हार्दिक बधाइयाँ

छंद हरिगीतिका :

(चार चरण प्रत्येक में १६,१२ मात्राएँ चरणान्त में लघु-गुरु)

 

शुभकामना नववर्ष की सत,-संग औ सद्ज्ञान हो.

करिये कृपा माँ शारदा अब, दूर सब अज्ञान हो.

हर बालिका हो लक्ष्मी धन,-धान्य का वरदान हो.

सिरमौर हो यह देश अब हर, नारि का सम्मान हो.

सादर,

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Added by Er. Ambarish Srivastava on January 1, 2013 at 10:00am — 28 Comments

समस्त ओबीओ परिवार की ओर से आप सभी को यम द्वितीया व भाई दूज पर्व की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं..

लेखा जोखा विश्व का, हर प्राणी का ज्ञान,

स्वागत वंदन आपका, चित्रगुप्त भगवान.

चित्रगुप्त भगवान, आपकी महिमा न्यारी.

जो भी धर ले ध्यान, मोक्ष का हो…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on November 16, 2012 at 12:00am — 4 Comments

समस्त ओबीओ परिवार की ओर से आप सभी को इस दीप पर्व की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं..

आई है दीपावली, वंदित प्रथम गणेश,

महालक्ष्मी पूजिये, सुखमय भारत देश.

सुखमय भारत देश, दीप हर घर में चमकें,

अँधियारा हो दूर, सभी के तन-मन महकें,

'अम्बरीष' दें आज, सभी को बहुत बधाई,

विष्णुप्रिया हरि संग, गरुण वाहन पर आई..

 

सादर

Added by Er. Ambarish Srivastava on November 13, 2012 at 11:59pm — 15 Comments

समस्त ओ बी ओ परिवार की ओर से स्वात घाटी की निर्भीक बेटी मलाला के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु मंगलकामनाएं ....



 

 

 

 

 

 

 

 

स्वात घाटी की निर्भीक बेटी मलाला को समर्पित 

सुन्दरी सवैया

अधिकार मिले सब शिक्षित हों बिखरे चहुँ ओर हि ज्ञान उजाला.

लड़ती जब जायज़ घायल क्यों सुकुमारि दुलारि पियारि 'मलाला'.

सब…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on October 13, 2012 at 3:00pm — 20 Comments

ग़ज़ल

(बहरे रमल मुसम्मन मख्बून मुसक्कन

फाइलातुन फइलातुन फइलातुन  फेलुन.

२१२२     ११२२     ११२२    २२)

 

जब भी हो जाये मुलाक़ात बिफर जाते हैं

हुस्नवाले भी अजी हद से गुजर जाते हैं

 

देख हरियाली चले लोग उधर जाते हैं

जो उगाता हूँ उसे रौंद के चर जाते हैं

 

प्यार  है जिनसे मिला उनसे शिकायत ये ही

हुस्नवाले है ये दिल ले के मुकर जाते हैं

 

माल लूटें वो जबरदस्त जमा करने को

रिश्तेदारों के…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on October 11, 2012 at 11:00pm — 22 Comments

छः दोहे

(चार चरण : विषम चरण १३

मात्रा व जगण निषेध / सम चरण ११ मात्रा)

 

आदिशक्ति है नारि ही, झुक जाते भगवान.  

नारी सबकी मातु है, सब जन पुत्र समान..

 

शक्तिरूप में ही वही, नहीं अल्प अभिमान. 

परमेश्वर के रूप में, पिय को देती मान..

 

ताने सहकर नित्य ही, बनी रहे अनजान. 

सदा समर्पित भाव से, सबका रखती ध्यान..

 

जान बूझ बंधन बँधे, बचपन बाँधे पित्र.

यौवन में पिय बाँधते, जरा अवस्था पुत्र.. 

 

ईश्वर ही नर…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on October 8, 2012 at 1:13am — 13 Comments

पाँच बरवै

(चार चरण : विषम चरण

१२ मात्रा व सम चरण ७ मात्रा सम चरणों का अंत गुरु लघु से )

 

प्रात जागती नारी, नहिं आराम.

साथ नौकरी करती, है सब काम..

 

प्यार शक्ति दे तभी, उठाती भार.

नारी बिन यह दुनिया, है लाचार..

 

प्रेम स्नेह की करती, जग में वृष्टि.

पूजित नारी जग में, जिससे सृष्टि..

 

त्याग  तपस्या  सेवा, तेरे  नाम.

शक्ति स्वरूपा नारी, तुझे प्रणाम..

 

सत्ता मद में गर्वित, नर है आज.

अखिल विश्व…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on October 8, 2012 at 1:00am — 21 Comments

सम्पूर्ण ओबीओ परिवार की ओर से आप सभी को शास्त्री/गाँधी जयन्ती की बधाई !

अमर 'शास्त्री'

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

छंद: कुकुभ

(प्रति पंक्ति ३० मात्रा, १६, १४ पर यति अंत में दो गुरु)  

'लाल बहादुर' लाल देश के, काम बड़े छोटी…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on October 2, 2012 at 4:00pm — 24 Comments

सम्पूर्ण ओ बी ओ परिवार की ओर से आप सभी मित्रों को अभियंता दिवस की हार्दिक बधाई !

(गीतिका छंद आधारित मुक्तक)

हो बधाई बंधु अग्रज, याद अब प्रतिदिन यहाँ.   

जन्मदिन शुभ आपका मिल, कर मनाते जन यहाँ.

आप मानक थे यहाँ इं-,जीनियर के रूप में. 

विश्वेश्वरैया मोक्षगुंडम, सर नमन वंदन यहाँ..

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Added by Er. Ambarish Srivastava on September 15, 2012 at 1:52pm — 7 Comments

सम्पूर्ण ओ बी ओ परिवार की ओर से आप सभी को हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत बधाई व अनंत शुभकामनाएं !

हिन्दी अपनी जान है, हिन्दी है पहचान.

देश हमारा हिन्दवी, प्यारा हिन्दुस्तान.

प्यारा हिन्दुस्तान, जहाँ भाषा का मेला.

सबको दें सम्मान, करें नहिं कोई खेला.

'अम्बरीष' हो गर्व, देख माथे की बिंदी.

दुनिया भर में आज, छा रही अपनी हिन्दी..

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Added by Er. Ambarish Srivastava on September 14, 2012 at 9:30am — 16 Comments

ग़ज़ल

इन्साफ जो मिल जाय तो दावत की बात कर  

मुंसिफ के सामने न रियायत की बात कर

 

तूने किया है जो भी हमें कुछ गिला नहीं

ऐ यार अब तो दिल से मुहब्बत की बात कर

 

गर खैर चाहता है तो बच्चों को भी पढ़ा

आलिम के सामने न जहालत की बात कर

 

अपने ही छोड़ देते तो गैरों से क्या गिला

सब हैं यहाँ ज़हीन सलामत की बात कर

 

'अम्बर' भी आज प्यार की धरती पे आ बसा 

जुल्मो सितम को भूल के जन्नत की बात कर

--अम्बरीष श्रीवास्तव  

Added by Er. Ambarish Srivastava on September 12, 2012 at 10:30am — 26 Comments

'हम नहीं सुधरेंगें' (लघुकथा)

 

बिरादरी में ऊँची नाक रखने वाले, दौलतमंद, पर स्वभावतः अत्यधिक कंजूस, सुलेमान भाई ने अपने प्लाट पर एक घर बनाने की ठानी| मौका देखकर इस कार्य हेतु उन्होंने, एक परिचित के यहाँ सेवा दे रहे आर्कीटेक्ट से बात की| आर्कीटेक्ट नें उनके परिचि त का ख़याल करते हुए, बतौर एडवांस, जब पन्द्रह हजार रूपया जमा कराने की बात कही, तो सुलेमान भाई अकस्मात ही भड़क गए, और बोले, "मैं पूरे काम के,…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on September 12, 2012 at 8:30am — 20 Comments

कुछ कह मुकरियाँ

जब जब हैं आतंकी आये

बिल में चूहे सा घुस जाये  

खो जाए उसकी आवाज़

क्या सखि नेता? नहिं सखि राज! 

______________________

नाम जपे नित भाईचारा.

भाई को ही समझे चारा 

ऐसे झपटे जैसे बाज़

क्या सखि नेता? नहिं सखि राज! 

______________________

प्लेटफार्म पर सदा घसीटे

मारे दौड़ा दौड़ा पीटे

इम्तहान क्या दोगे आज

क्या सखि पोलिस ? नहिं सखि राज !

_______________________

चलती जिसकी अज़ब गुंडई 

कहे, निकल…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on August 23, 2012 at 9:30am — 48 Comments

'आरोग्य कुंडली'

नींबू अदरक लहसुना, सिरका-सेब जुटाय,

सारे रस लें भाग सम, मिश्रित कर खौलाय. 

मिश्रित कर खौलाय, बचे तीनों चौथाई.

तब मधु लें समभाग, मिला कर बने दवाई.

'अम्बरीष' नस खोल, हृदय दे, महके खुशबू.

नित्य निहारे पेय, तीन चम्मच भल…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on August 22, 2012 at 7:30pm — 16 Comments

एक घनाक्षरी :

घनाक्षरी :

शीश हिमगिरि बना, पांव धोए सिंधु घना,

माँ ने सदा वीर जना, देश को प्रणाम है |

ब्रम्हचर्य जहाँ कसे, आर्यावर्त कहें इसे,

चार धाम जहाँ बसे, देश को प्रणाम है |

वाणी में है रस भरा, शस्य श्यामला जो धरा,…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on August 13, 2012 at 2:00am — 15 Comments

तीन 'घनाक्षरी'

(१) बच्चों के प्रति

दिल से प्रणाम करो, पढ़-लिख नाम करो, 

हाथ आया काम करो, यही देश प्रेम है,

अपना भले को मानो, दुष्ट ही पराया जानो,

सबका भला ही ठानो, यही देश प्रेम है |

सदा सद-बुद्धि धरो, बुद्धि से ही युद्ध…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on August 12, 2012 at 1:30am — 11 Comments

कह मुकरी: मोहपाश में नित्य फँसाये!

कह-मुकरी

(1)

पल में सारा गणित लगाये 

इन्टरनेट पर फिल्म दिखाये 

मेरे बच्चों का वह ट्यूटर.

ऐ सखि साजन? नहिं कम्प्यूटर..

(2)

बड़ों-बड़ों के होश उड़ाये

अंग लगे अति शोभा पाये

डरती जिससे दुनिया सारी

क्या वो नारी? नहीं कटारी!! 

(3)

रहे मौन पर साथ निभाये

मैडम का हर हुक्म बजाये 

नहीं आत्मा रहता बेमन 

ऐ सखि रोबट? नहिं मन मोहन!!

(4)

मोहपाश में नित्य फँसाये

सास-बहू हैं घात…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on August 7, 2012 at 12:30am — 25 Comments

समस्त ओबीओ परिवार की ओर से आप सभी को श्रावणी पर्व (रक्षा बंधन) की हार्दिक बधाई !

 

कह-मुकरी

मन-मोहक मृदु रूप में आये.

सजे कलाई अति मन भाये.

नेह-प्रीति की वह है साखी.

क्या सखि कंगन? नहिं सखि राखी!!

 

रूपमाला/मदन छंद

आज वसुधा है खिली ऋतु, पावसी शृंगार. 

थाल बहना बन सजाये, श्रावणी त्यौहार.

बादलों…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on August 2, 2012 at 2:30pm — 32 Comments

पञ्च हाइकू

पञ्च हाइकू

१.

कर ले कर्म

बस यही है धर्म

जीवन मर्म 

 

२.

छाये बहार.

आत्मिक अभिसार

प्यार में धार .

 

३.

जुड़ें बेतार

जोड़ ले लगातार  

दिलों के तार

 

४.

मन मुस्काए  

किस्मत बन जाए

क्यों घबराए 

५.

त्याग दे स्वार्थ

स्वीकार परमार्थ

उठ जा पार्थ

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Added by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 12:30am — 17 Comments

Monthly Archives

2013

2012

2011

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"आदाब।‌ बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।"
Oct 1
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी।"
Sep 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी। आपकी सार गर्भित टिप्पणी मेरे लेखन को उत्साहित करती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"नमस्कार। अधूरे ख़्वाब को एक अहम कोण से लेते हुए समय-चक्र की विडम्बना पिरोती 'टॉफी से सिगरेट तक…"
Sep 29
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"काल चक्र - लघुकथा -  "आइये रमेश बाबू, आज कैसे हमारी दुकान का रास्ता भूल गये? बचपन में तो…"
Sep 29
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
Sep 29
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
Sep 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
Sep 28
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
Sep 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
Sep 28

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service