For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहो तो सुना दूँ फ़साना किसी का

122 122 122 122 

कहो तो सुना दूँ फ़साना किसी का

वो इज़हार-ए-उल्फ़त जताना किसी का

सुधार

नज़र से महब्बत जताना किसी का

हँसाना किसी का रुलाना किसी का

भुलाओगे कैसे सताना किसी का

नहीं रोक पाई कभी चाहकर मैं

दबे पा ख़यालों में आना किसी का

है यह भी महब्बत का दस्तूर यारो

न दिल भूले जो दिल से जाना किसी का

बहुत कोशिशें कीं मनाने की फ़िर भी

न मुमकिन हुआ लौट आना किसी का

दिल ए बेक़रारी की हद ही तो थी वह

जो समझे नहीं हम बहाना किसी का

नहीं रास आया ज़माने को "निर्मल" 

मेरे दिल को अपना बताना किसी का

मौलिक व अप्रकाशित

रचना निर्मल

Views: 953

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on December 20, 2021 at 8:34pm

सुधार में ये लिखने की ज़रूरत नहीं कि किसके कहने पर किया गया, सिर्फ़ एडिट करना है, इनवर्टेड कामा भी हटाएँ, फिर से एडिट करें ।

Comment by Rachna Bhatia on December 20, 2021 at 8:29pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई, संज्ञान के लिए बहुत धन्यवाद। सुधार हो गया।

Comment by Rachna Bhatia on December 20, 2021 at 10:15am

आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी आपकी बात से मैं शत प्रतिशत सहमत हूँ पर, मुझे एडिटिंग का आप्शन नहीं दिख रहा। पिछली बार कोशिश की थी तो पोस्ट ही डीलीट हो गई थी। फ़िर भी कोशिश करती हूँ। सादर।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 20, 2021 at 12:08am

//सर जी, फेयर में सुधार कर लेती हूँ।//

मुहतरमा रचना भाटिया जी, आप अक्सर ऐसा ही कहते हैं... फेयर में सुधार... ठीक है, लेकिन क्या ओ बी ओ पर ये रचना ऐसे ही त्रुटिपूर्ण ही रहेगी? ज़रा सोचें।

मेरे विचार से ओ बी ओ पर भी आपको अपनी रचनाओं में आवश्यक और वांछित परिमार्जन ज़रूर करना चाहिए, ताकि यहाँ आपकी रचनाओं को देखने-समझने वाले भ्रमित न हों। सादर। 

Comment by Rachna Bhatia on December 19, 2021 at 1:37pm

आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार।सर्, जी, फेयर में सुधार कर लेती हूँ।

सादर।

Comment by Samar kabeer on December 19, 2021 at 11:43am

'नज़र से महब्बत जताना किसी का'

ठीक है ।

Comment by Rachna Bhatia on December 18, 2021 at 9:12pm

आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।

Comment by Rachna Bhatia on December 18, 2021 at 9:11pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।

Comment by Rachna Bhatia on December 18, 2021 at 9:06pm

आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार।

//वो इज़हार-ए-उल्फ़त जताना किसी का ....इज़हार और जताना एक ही वंश के शब्द हैं, लगभग पर्यायवाची //

सहमत ।

सर्, क्या इस तरह सानी कर दूँ?

"नज़र से महब्बत जताना किसी का"

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 17, 2021 at 8:59pm

आ.रचना बहन सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service