2122 2122 2122 212
1
औरों के जैसा मुकद्दर यार अपना है कहाँ
अपने दिल का जोर उसके दिल प चलता है कहाँ
2
रात होती है कहाँ और दिन गुज़रता है कहाँ
मन मुआफ़िक़़ ज़िन्दगी में जीना मरना है कहाँ
3
एक दिन में कुछ नहीं पर एक दिन होगा ज़रूर
आदमी ये सब्र तब तक यार रखता है कहाँ'
4
आज तक कोई नहीं यह जान पाया दोस्तो
इस ज़माने को बनाने वाला रहता है कहाँ
5
किस तरह भर लूँ उनींदी आँखों में ख़्वाबों के…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on May 6, 2022 at 10:30am — 8 Comments
2122 2122 2122 212
1
अश्क पीना छोड़ दें हम दिल लगाना छोड़ दें
एक उनकी मुस्कुराहट पर ज़माना छोड़ दें
2
हर किसी के आप दिल में आना जाना छोड़ दें
इश़्क को सौदा समझ क़ीमत लगाना छोड़ दें
3
कह दें अपनी चूड़ियों से खनखनाना छोड़ दें
दिल के रिसते ज़ख़्मों पर यूँ सरसराना छोड़ दें
4
लग गए हों ताले ख़ामोशी के जिनके होठों पर
उनसे उम्मीदें सदाओं की लगाना छोड़ दें
5
कब तलक फिरते रहेंगे आप ग़म के सहरा…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on April 5, 2022 at 9:00pm — 8 Comments
212 212 212
1
जाने क्यों इश्क़ के पेच ओ ख़म
ज़ेह्न वालों को भाते हैं कम
2
उनके सर की उठा कर क़सम
हम महब्बत का भरते हैं दम
3
मुस्कुरातीं हैं सब चूड़ियाँ
जब सँवारें वो ज़ुल्फ़ों के ख़म
4
जब जी चाहे बुला लेते हैं
करके पायल की छम-छम सनम
5
होंगे दिन रात मधुमास से
जब भी पहलू में बैठेंगे हम
6
जाएँ जब उनकी आग़ोश में
रौशनी शम्अ की करना कम
7
एक पल में ही मर…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on January 2, 2022 at 1:01pm — 6 Comments
1121 2122 1121 2122
इस्लाह के बाद ग़ज़ल
1
है ये इश्क़ की डगर तू ज़रा रख क़दम सँभल के
चला जाएगा वगरना तेरा चैन इस प चल के
2
न…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on December 12, 2021 at 11:00am — 6 Comments
122 122 122 122
कहो तो सुना दूँ फ़साना किसी का
वो इज़हार-ए-उल्फ़त जताना किसी का
सुधार
नज़र से महब्बत जताना किसी का
हँसाना किसी का रुलाना किसी का
भुलाओगे कैसे सताना किसी का
नहीं रोक पाई कभी चाहकर मैं
दबे पा ख़यालों में आना किसी का
है यह भी महब्बत का दस्तूर यारो
न दिल भूले जो दिल से जाना किसी का
बहुत कोशिशें कीं मनाने की फ़िर भी
न मुमकिन हुआ लौट आना किसी का
दिल ए…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on December 9, 2021 at 11:30am — 19 Comments
2122 2122 2122 212
1
जब भी छाए अब्र मुश्किल के वतन की आन पर
खेले हैं तब तब हमारे तिफ़्ल अपनी जान पर
2
आज़मा ले लाख अपना रौब रुतबा शान पर
हो न पाएगा कभी हावी तू हिन्दुस्तान पर
3
हम नहीं होते परेशाँ धर्म से या ज़ात से
ख़ूँ जले अपना तो झूठे और बेईमान पर
4
माना हैं मतभेद भाषा वेष भूषा धर्म में
फ़ख़्र करते हैं प सब भारत के बढ़ते मान पर
5
एक दिन ऐसा भी "निर्मल" देखना तुम…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on November 1, 2021 at 11:00am — 5 Comments
2122 1122 1122 22 /112
1
शोर धड़कन का ज़माने को बताना चाहे
दिल करीब और करीब यार के आना चाहे
2
दिल की बैचेनी भी अब एक ठिकाना चाहे
थोड़ा ख़ुशियों के समंदर में नहाना चाहे
3
साथ जितना भी लिखा उसने तेरा मेरा सनम
ज़िन्दगी उतनी ही साँसों का तराना चाहे
4
ख़ुशबू बनकर मेरी साँसों में उतरने वाले
क्या तेरा दिल भी महक ऐसी न पाना चाहे
5
चंद अशआर महब्बत प सुना कर यह मन
बीच महफ़िल में तुम्हें…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on October 26, 2021 at 9:16pm — 12 Comments
2122 / 1212 / 22
1
दिल का रिश्ता यूँ भी निभाना था
फिर से रूठा ख़ुदा मनाना था
2
चार ईंटें टिका के निस्बत की
आदमीयत का घर बसाना था…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on October 2, 2021 at 12:23pm — 7 Comments
22 22 22 2
1
आँख खुली तो जाना था
इश्क़ मुहब्बत धोका था
2
उधड़ी सीवन रिश्तों की
चुपके से वो सिलता था
3…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on September 13, 2021 at 11:00am — 3 Comments
Added by Rachna Bhatia on September 3, 2021 at 11:04am — 6 Comments
122 122 122 12
1 तुझे जिसके लहज़े में ताना लगा
मुझे दिल से वो शख़्स सच्चा लगा
2 ये मत पूछ क्या उसमें अच्छा लगा
वो मासूम इक ज़िद्दी बच्चा लगा
3 तू सुन शोर पहले मेरे दिल का फिर
बता क्यों तुझे मैं अकेला लगा
4 बता वास्ता उससे रक्खूँ भी क्यों
मुझे आदमी जब वो झूठा लगा
5 थी कुछ बात या इश्क़ का था सरूर
हरिक चेहरा जो मुझको तेरा लगा
6 मुहब्बत ही की है गुनह तो…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on August 30, 2021 at 12:00pm — 7 Comments
2122 1212 22/112
1
उसका जब मेरी कू में आना हो
उठ चुका ग़म का शामियाना हो
2
मिल रहा प्यार जब पुराना हो
लब प तब गीत आशिक़ाना हो
3
हिज्र की रात में वो आए जब
होटों पर वस्ल का तराना हो
4
ऐ ख़ुदा हर गरीब के घर में
पेट भरने को आब ओ दाना हो
5
टूटी कश्ती में बैठ कर कैसे
उस किनारे प अपना जाना हो
6
कह रहा है मरीज़-ए-इश्क़ मुझे
उसका दिल मेरा आशियाना…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on August 18, 2021 at 1:20pm — 6 Comments
2122 2122 212
1
अपने रिश्ते की यही तस्वीर है
उसका मैं रांझा वो मेरी हीर है
2
पाँव में रस्मों की जो ज़ंजीर है
मेरे दिल को देती हर पल पीर है
3
जाने किसकी शह में आ कर यार ने
सामने कर दी मेरे शमशीर है
4
हाथ की तहरीर पढ़कर तो बता
रूठी क्यों मुझसे मेरी तक़दीर है
5
होगी तेरे पास दौलत लाखों की
अपनी तो तालीम ही जागीर है
6
अब छिपाने से भी छिप सकती नहीं
आपकी आँखों में जो…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on August 8, 2021 at 12:30pm — 4 Comments
2122 2122 2122 212
1
उनकी आँखों में उतर कर ख़ुद को देखा है कहाँ
हक़ अभी तक उनके दिल पर इतना अपना है कहाँ
2
आदतें यूँ तो मिलेंगी एक सी लोगों में पर
उनके दिल में एक सा एहसास होता है कहाँ
3
है लड़ाई ख़ुद से अपनी है बग़ावत ख़ुद ही से
बात इतनी सी ज़माना भी समझता है कहाँ
4
चारदीवारी में घर की साथ तो रहते हैं सब
ज़ाविया पर उनके दिल का एक जैसा है कहाँ
5
देख लिया गल कर पसीने में भी हमने…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on July 31, 2021 at 11:21pm — 11 Comments
2122 1212 22
1
एक बेहिस को दिल दिया हमने
कह के अपना उसे ख़ुदा हमने
2
रहके तुमसे खफ़ा खफ़ा हमने
ख़ुद को बर्बाद कर लिया हमने…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on July 15, 2021 at 7:12pm — 7 Comments
2122 1122 1122 22 /112
1
अच्छा महफ़िल में तमाशा बना मेरा कल शब
दिल मेरा तोड़ा गया कह के ख़िलौना कल शब
2
ज़ख़्मी दिल पर तेरा जब नाम उकेरा कल शब
हाय रब्बा मेरे तब होंठों से निकला कल शब
3
झूठ की सुब्ह तलक माँग है बाज़ारों में
और मैं एक भी सच बेच न पाया कल शब
4
मेरे हाथों की लकीरें भी बदल जाएँगी
ख़्वाब आँखों ने दिखाया मुझे ऐसा कल शब
5
उस तरफ़ चाँद सितारों की चमक थी "निर्मल"
इस तरफ़ था…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on April 4, 2021 at 7:00am — No Comments
212 1222
1
ज़ार ज़ार रोते हैं
जब वो होश ख़ोते हैं
2
ख़्वान ए इश्क वाले ही
तो फ़कीर होते हैं
3
लोग क्यों अदावत में
हाथ खूँ से धोते हैं
4
डोरी में वो सांसों की
आरज़ू पिरोते हैं
5
चाहतों की गठरी सब
उम्र भर सँजोते हैं
6
क्यों अज़ीज़ अपने ही
अश्कों में डुबोते हैं
7
ख़्वाब देखने वाले
रात भर न सोते हैं
मौलिक व अप्रकाशित
रचना…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 30, 2021 at 8:30pm — 2 Comments
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22
1
जो सह के ज़ुल्म हज़ारों भी उफ़ किया न करे
दुआ करो कि उसे ग़म कोई मिला न करे
2
मुझे बहार की रंगीनियाँ मिलें न मिलें
मगर ख़िज़ा ही रहे उम्र भर ख़ुदा न करे
3
मुझे वो बज़्म में चाहे मिले नहीं खुल कर
मगर मज़ाक में भी ग़ैर तो कहा न करे
4
मैं ज़र्द पत्ते सा घबरा के काँप जाता हूँ
कहे हवा से कोई तेज़ वो चला न करे
5
नशा किसी प महब्बत…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 21, 2021 at 8:30am — 7 Comments
16,11 मात्रा अंत मे गुरु लघु
1
ले राधा जैसी चंचलता, कृष्णा जैसा प्यार।
बरसाने में खेली जाए,होरी भी लठमार।
जोगिरा सा रा रारा रा,..
2
कृष्ण गए थे हँसी ठिठोली, करने राधा…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 19, 2021 at 3:00pm — 5 Comments
221--1221--1221--122
1
कैसे न सनम मचलें'गे जज़्बात हमारे
महफ़िल में अगर गाएंगे नग़्मात हमारे
2
दुनिया का वतीरा भी निभा सकते हैं लेकिन
इन सबसे अलहदा हैं ख़यालात हमारे
3
ईमान की बाज़ार में कीमत नहीं कुछ भी
किस तर्ह से फिर सुधरेंगे हालात हमारे
4
जल जल के बुझी जाती है उम्मीदों की शम्मा
दम तोड़ते हैं साथ सवालात हमारे
5
माज़ी को सिरहाने तले रख सोचते हैं हम
क्यों एक से रहते नहीं दिन रात…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 13, 2021 at 9:00am — 8 Comments
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