For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" आत्मघात " - [ लघुकथा ] _शेख़ शहज़ाद उस्मानी (35)

एक तरफ मुहब्बत, दूसरी तरफ ममता और दोनों ही तरफ़ सिर्फ उसके फर्ज़ । उलझे हुए रास्ते इस वक़्त सुधीर को बिछी हुई रेल की पटरियों की तरह लग रहे थे। वह करे भी तो क्या। उसके दिमाग़ में अपने और परायों की टिप्पणियाँ बिज़ली के प्रवाह की तरह उसे झकझोर रहीं थीं।

"माँ बीमार रहती है, बहू आ जायेगी तो एक सहारा हो जायेगा "

" ट्यूशन की कमाई से घर-गृहस्थी चलायेगा क्या ?"

"मुहब्बत तो कर ली, प्रेमिका जब बीवी बनेगी तब समझ में आयेंगे आटे-दाल के भाव और बीवी के ताव"

"अरे, उस लड़की के लिए तो सर्विस वाले लड़कों के रिश्ते भी आ रहे हैं, वो तो प्यार का चक्कर है न, सो मज़बूरी में ये शादी हो रही है, करम फूट गये लड़की के, मति मारी गई है जवानी में !"

"अरे, लड़के की नहीं, बाप की कमाई और धन-दौलत देखकर दे रहे हैं वे अपनी लड़की इस पिद्दी को !"

मुहब्बत अपनी जगह है और ज़िन्दगी के संघर्ष अपनी जगह । अगर अपनी पत्नी को ही सुखी नहीं रख पाया तो मुहब्बत भी ज़ल्दी ही दम तोड़ देगी। बहुत से ऐसे किस्से सुने हैं । शिल्पा का विवाह अगर किसी सक्षम आत्मनिर्भर लड़के से हो जाये, तो वह तो जीवन भर सुखी रह लेगी और मैं अपनी माँ की सेवा भी ढंग से कर पाऊंगा और शायद अपना करियर भी .....।

रेलवे ट्रैक पर बैठा सुधीर कभी रेल की पटरियों पर नज़रें दौड़ाता, तो कभी अपना माथा पीटता । घर लौट कर उसने मंगेतर शिल्पा के पिता को एक पत्र लिखकर इस विवाह से इंकार कर ही दिया।

"अंकल, यह रिश्ता मेरी मर्ज़ी के ख़िलाफ तय हुआ है, मेरा यह फैसला है कि जब तक मैं आत्मनिर्भर नहीं बन जाता, विवाह नहीं करूँगा। वर्तमान स्थिति में मुझे नहीं लगता कि मेरा वैवाहिक जीवन सुखी रह पायेगा । बेहतर यही होगा कि आप शिल्पा का विवाह किसी आत्मनिर्भर व्यक्ति के साथ करें, यह तो हमारा सिर्फ आकर्षण है, मुहब्बत नहीं ! "

"भले कोई मुझे स्वार्थी कहे, लेकिन सच तो यही है न कि इस ज़माने में मुहब्बत और आत्मनिर्भरता, सम्पन्नता की पटरियां आपस में मिलती तो कम हैं, प्रायः जुदा ही रहती हैं !" सुधीर अपने आपको तसल्ली दे रहा था।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 488

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 4:48am
मेरी इस रचना पर समय देकर मार्गदर्शित करने व हौसला अफ़ज़ाई हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी व आदरणीय तेजवीर सिंह जी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 6, 2015 at 11:27pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानीजी, आप पयासरत रहें. लघुकथा विधा के महीन पहलू आपको समझ में आने लगे हैं. प्रस्तुतीकरण के संदर्भ में कई विन्दु पष्ट होने बाकी हैं. किन्तु, सतत अभ्यास से ये भी सध जायेंगे, इसकी पूरी आश्वस्ति है. 

शुभेच्छाएँ 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 25, 2015 at 11:35am

हार्दिक बधाई शेख उस्मानी जी!प्रेरक लघुकथा!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 24, 2015 at 1:36pm
समीक्षात्मक टिप्पणियों सहित प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी व आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।
Comment by pratibha pande on November 24, 2015 at 12:25pm

 दो पाटों के बीच फंसे व्यक्ति सही और व्यवहारिक  फैसले ले लें तो क्या ही बात है , पर अंततः आपके नायक ने सही फैसला ले ही लिया    वैसे भी प्यार से ज़रूरी और भी बहुत काम हैं बधाई इस सार्थक रचना पर आपको आदरणीय उस्मानी जी  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 24, 2015 at 11:55am

इस भौतिकवादी युग में आत्मनिर्भर होना अति अवाश्यक हो गया है  वरना  प्रेम मोहब्बत में खटास आने के संभावनाएं अधिक रहती है |इसे समझ कर सुधीर ने निर्णय लिया | सुंदर लघु कथा  

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 21, 2015 at 6:22pm
विषयांतर्गत अपने विचारों को साझा करते हुए विस्तृत टिप्पणी करने व प्रोत्साहन देने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय सुनील वर्मा जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 21, 2015 at 11:28am
हृदयतल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया राहिला जी त्वरित प्रतिक्रिया देने व हौसला बढ़ाने के लिए।
Comment by Rahila on November 21, 2015 at 11:04am
बहुत ही प्रेक्टिकल सोच के साथ नायक ने फैसला लिया जो उस वक्त की मांग भी थी । बहुत बधाई आपको आदरणीय उस्मानी जी !एक सार्थक मार्ग दर्शन देती रचना । सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
52 minutes ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service