For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Featured Blog Posts – August 2012 Archive (23)

नित्कर्म ही धर्म (दोहे)

मर्यादित आचरण ही,सद्चरित्र व्यवहार,
सद्चरित्र व्यवहार से,हो दर्शन करतार //

कर दर्शन करतार के, सदाचार सोपान,
सदाचार सोपान से, होगा बेडा पार //

होगा बेडा पार तब,परहित तेरे कर्म,
परहित तेरे कर्म हो, उसेही मनो धर्म //

पुरुषोत्तमश्री राम का, है मर्यादित चरित्र,
अनुशासित नित्कर्म, है आचरण पवित्र //

जीवन दर्शन तत्व को,कृष्ण ही समझाय
युक्ति संगत करम को, कर्मयोगी बतलाय //

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 31, 2012 at 11:30am — 16 Comments

प्रकृति मेरी प्रेयसी

सौन्दर्य तुम्हारा प्रियतमे, सप्तसुर संगीत है!

धरती-गगन संयुक्तता सा, प्रेम अपना गीत है!



संसार ये अतिशय है तप्त, मै बहुत संतप्त हूं!

संतप्तता के इस गहर में, संग तुम तो शीत है!



जग क्षितिज पर पाषाणता के, है तुम्हे भी कष्ट दे!

परन्तु उसी जग हेतु तुममे, शेष अति नवनीत है!



तुम नित करो नवनीत वर्षण, जग बदल सकता नही!

पाषाण मानव के ह्रदय में, कृतघ्न एक रीत है!



सत्प्रेमता का इस मनुज में, भाव कोई है नही!

सो…

Continue

Added by पीयूष द्विवेदी भारत on August 30, 2012 at 11:30am — 8 Comments

जीवन एक किताब है (दोहा छंद)

जीवन एक किताब है,तीन प्रमुख अध्याय।

बचपन यौवन वृद्धपन,कहैं सुकवि समुझाय॥



बचपन जीवन भूमिका,यौवन ललित निबंध।

वृद्धापन सारांश है,उत्तम काव्य प्रबंध॥



भाषा रूपी ज्ञान हो,रस चरित्र व्यवहार।

कर्म रीति से युक्त हो,अलंकार गुण भार॥



अनुशासन का व्याकरण,पद लालित्य अनूप।

छंद बद्ध हर पल रहे,कथ्य शास्त्र अनुरूप॥



जीवन पुस्तक में नहीं,यदि बातें उपरोक्त।

श्याम वर्ण पुस्तक लगे,जीवन जैसे शोक॥



अल्ट्रामार्डन हो गये,काव्य और सब… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 29, 2012 at 10:04pm — 5 Comments

आ प्रिये कि प्रेम का हो एक नया शृंगार अब....

आ प्रिये कि हो नयी

कुछ कल्पना - कुछ सर्जना,

आ प्रिये कि प्रेम का हो

एक नया शृंगार अब.....



तू रहे ना तू कि मैं ना

मैं रहूँ अब यूं अलग

हो विलय अब तन से तन का

मन से मन का - प्राणों का,

आ कि एक - एक स्वप्न मन का

हो सभी साकार अब....



अधर से अधरों का मिलना

साँसों से हो सांस…
Continue

Added by VISHAAL CHARCHCHIT on August 27, 2012 at 3:00pm — 26 Comments

नवमन

नव मन की नव कल्पना,
नव अन्नत में उड़ने की है।
समस्त जगत के अंदर,
नव चेतना भरने की है॥

चाहता है यह नव मन,
मेरा संसार नवल हो जाये।
प्रेम क्षमा दया करुणा,
हर जन उर अंतर भर जाये॥

सब बन जायें अपने भाई,
ऊंच नीच भेद मिट जाये।
देश जाति धर्म भाषा के,
बंधन सारे टुट जायें॥

सब पर सब विश्वास करें,
अविश्वास की न हो रेखा।
इस मेरे नव मन ने भाई,
बस यही है सपना देखा॥

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 25, 2012 at 1:02pm — 7 Comments

ग़ज़ल - बादलों और बिजलियों की नेमतें

ग़ज़ल - बादलों और बिजलियों  की नेमतें
 
बोलते चेहरों को सुनता ही रहा ,
वो अदद एक ख्वाब बुनता ही रहा |
 …
Continue

Added by Abhinav Arun on August 25, 2012 at 11:41am — 10 Comments

ग़ज़ल - तेरी याद माँ चाशनी है

 
ग़ज़ल - तेरी याद माँ चाशनी है
 
हवा में नमी कुछ बढ़ी है ,
मगर अब भी नीयत वही है |
 
रहा है भंवर का ये…
Continue

Added by Abhinav Arun on August 25, 2012 at 11:30am — 17 Comments

ग़ज़ल--जिंदगी एक रेल होती है.......

जिंदगी एक रेल होती है
ये न समझो कि खेल होती है।

जिंदगी का सफर बहुत लम्बा,
रूक गये तो ये फेल होती है।

वो जहाँ चाहे मोड दे हमको,
हाथ उसके नकेल होती है।

आजकल जिंदगी की भागमभाग,
पानी कम ज्यादा तेल होती है।

आज कानून ही बदल गया है,
बोल दो सच तो जेल होती है।

अब तो राशन की लाइने या सडक,
हर जगह धक्का पेल होती है।।।।

सूबे सिंह सुजान

Added by सूबे सिंह सुजान on August 24, 2012 at 11:00pm — 10 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
कुम्हलाते मस्तिष्क (कुछ हाइकू )

 

१.
धूमिल ओज .
मासूम बचपन .
बस्तों का बोझ .
२.
कड़ी तपस्या .
विद्रूप बाल्य शिक्षा .
बड़ी समस्या .
३.
जीवन बूँद .
उन्मुक्त बचपन .
घिरती धुंध .
४.
रटंत शिक्षा .
कुम्हलाते मस्तिष्क .
व्यर्थ की दीक्षा .
५.
ढूँढे किरण .
बाल्यांकुर खिलते .
नेह सिंचन…
Continue

Added by Dr.Prachi Singh on August 24, 2012 at 7:12pm — 19 Comments

भाषा बिना -----

जो तुम बोलते हो क्या सिर्फ वही है भाषा ?

मैं जब सोचती हूँ तुम्हें

और खोती हूँ ,

तुम्हारे ख्यालों में ,

सपने सजाती हूँ नयनों में ,

और मुझे बहुत दूर जहाँ

के पार ले जाते है मेरे सपने

वहां जहाँ कोई नही होता मेरे पास

मैं नहीं खोलती अपना मुंह

फिर भी मैं बतयाती हूँ

फूलों से,तितलियों से, बहारों से

और तुमसे .

मेरे अहसास में होते हो तुम ,

बिन बोलें करती…

Continue

Added by Naval Kishor Soni on August 24, 2012 at 5:30pm — 8 Comments

'आरोग्य कुंडली'

नींबू अदरक लहसुना, सिरका-सेब जुटाय,

सारे रस लें भाग सम, मिश्रित कर खौलाय. 

मिश्रित कर खौलाय, बचे तीनों चौथाई.

तब मधु लें समभाग, मिला कर बने दवाई.

'अम्बरीष' नस खोल, हृदय दे, महके खुशबू.

नित्य निहारे पेय, तीन चम्मच भल…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on August 22, 2012 at 7:30pm — 16 Comments

बतादो ना

********************

तुम हकीकत हो

या ख़्वाब?

बतादो ना.

अरज है मेरी

ज़नाब

बतादो ना.

तुम्हारे ही ख़्वाबों में

मैं जीता हूँ,तुम्हारी आँखों से ही

मैं पीता हूँ.

तुम अमृत हो

या शराब ?

बतादो ना.

अपनी जिंदगी का अक्स

तुम्हीं में देखता हूँ,

अपनी जिंदगी के मायने

तुम्हीं में पढता हूँ.

तुम आईना हो

या किताब?

बतादो ना.

जिंदगी के समंदर का

ज्वार भी तुम हो,

मेरी कश्ती और

पतवार भी तुम हो.

तुम सवाल हो

या…

Continue

Added by अशोक पुनमिया on August 20, 2012 at 2:55pm — 11 Comments

कवि तेरे भी

कवि तेरे भी



कवि तेरे भी मन में

कोई तो विरहिणी

रहती है

श्‍वेत शीत पड़ी

किरण देह सी…

Continue

Added by राजेश 'मृदु' on August 14, 2012 at 10:30pm — 6 Comments

एक घनाक्षरी :

घनाक्षरी :

शीश हिमगिरि बना, पांव धोए सिंधु घना,

माँ ने सदा वीर जना, देश को प्रणाम है |

ब्रम्हचर्य जहाँ कसे, आर्यावर्त कहें इसे,

चार धाम जहाँ बसे, देश को प्रणाम है |

वाणी में है रस भरा, शस्य श्यामला जो धरा,…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on August 13, 2012 at 2:00am — 15 Comments

जाल सय्याद फिर से बिछाने लगे - वीनस

मित्रों, एक ताज़ा ग़ज़ल पेश -ए- खिदमत है ....





जाल सय्याद फिर से बिछाने लगे

क्या परिंदे यहाँ आने जाने लगे



खेत के पार जब कारखाने लगे

गाँव के सारे बच्चे कमाने…

Continue

Added by वीनस केसरी on August 12, 2012 at 11:30pm — 10 Comments

देशगीत (स्वतंत्रता दिवस पर विशेष)

जो कह गए शहीद, चलो उसको दुहराएँ |

आजादी का पर्व, आओ मिलकर मनाएँ ||

है दिन जिसको वीर, जीत कर के लाए थे,

चट्टानों को चीर, मौत से टकराए थे |

कर लें उनको याद, जिन्होंने शीश कटाए,

आजादी का पर्व, आओ मिलकर मनाएँ ||…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 11, 2012 at 8:21am — 8 Comments

कान्हा कृष्णा मुरली मनोहर आओ प्यारे आओ

कान्हा कृष्णा मुरली मनोहर आओ प्यारे आओ

व्रत ले शुभ सब -नैना तरसें और नहीं तरसाओ

जाल –जंजाल- काल सब काटे बन्दी  गृह में आओ…

Continue

Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 10, 2012 at 8:00am — 10 Comments

मित्रता दिवस को समर्पित छह दोहे

सारे रिश्ते देह के, मन का केवल यार

यारी जब से हो गई , जीवन है गुलज़ार



मन ने मन से कर लिया आजीवन अनुबन्ध

तेरी मेरी मित्रता  स्नेहसिक्त सम्बन्ध



मित्र सरीखा कौन है, इस…

Continue

Added by Albela Khatri on August 5, 2012 at 1:00pm — 38 Comments

हे मनुज! तुम दिया बनो

हे मनुज! तुम दिया बनो
वो दिया...जो जलता है
प्रकाश के लिए, 
नवनिर्माण के लिए,
भटके को राह दिखाने के लिए,
प्रभु की आराधना के लिए,
हे आर्य! आत्मसात कर लो
इसके गुणों को,
अपना लो इसका स्वभाव,
प्रतीक बनो क्रांति के आगमन का,
सूचक हो परिवर्तन का,
मिटा…
Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 3, 2012 at 10:00pm — 12 Comments

कभी जब दिल से दिल का ख़ास रिश्ता टूट जाता है

कभी जब दिल से दिल का ख़ास रिश्ता टूट जाता है॥

तो फिर लम्हों में सदियों का भरोसा टूट जाता है॥

 

भले जुड़ जाये समझौते से पहले सा नहीं रहता,

मुहब्बत का अगर इक बार शीशा टूट जाता है॥

 

क़ज़ा की आंधियों के सामने टिकता नहीं कोई,

सिकंदर हो कलंदर हो या दारा टूट जाता है॥

 

कभी हिम्मत नहीं हारा जो मीलों मील उड़कर भी,

कफ़स में क़ैद होकर वह परिंदा टूट जाता है॥

 

यूं चलना चाहते तो है सभी राहे सदाक़त पर,

मगर…

Continue

Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on August 3, 2012 at 5:00pm — 15 Comments

Featured Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service