Added by अमि तेष on February 15, 2011 at 7:30pm — No Comments
Added by Rohit Singh Rajput on February 15, 2011 at 4:30pm — 3 Comments
Added by neeraj tripathi on February 15, 2011 at 4:07pm — No Comments
कुछ अहसास हर अहसास से परे
कुछ अरमान उम्मीदो से भरे
गम है लिखे मुक्कदर में सभी
केमहबूब का साथ हर गम हरे
किताब की लिखावट तो नीरस
हैशब्दों की बनावट भी नीरस है
गुलाबों सा महकता महबूब का प्रेम पत्र
लिये जिंदगी का हर रस है
दुनिया में अस्तित्व हीन हूँ
सनम ही मेरी दुनिया है
उसी में डुबा रहूँ ताउम्र
सनम ही मेरा अस्तित्व हैं
मिलन यामिनी में साथ बैंठे
खुला आसमा ताकते है
चाँद को…
ContinueAdded by Mayank Sharma on February 15, 2011 at 3:30pm — No Comments
Added by rajkumar sahu on February 15, 2011 at 1:19am — No Comments
Added by R N Tiwari on February 14, 2011 at 5:57pm — No Comments
Added by Lata R.Ojha on February 14, 2011 at 5:27pm — 4 Comments
Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 13, 2011 at 2:30pm — 10 Comments
Added by Aakarshan Kumar Giri on February 13, 2011 at 10:00am — 3 Comments
Added by Akshay Thakur " परब्रह्म " on February 13, 2011 at 9:01am — 8 Comments
Added by अमि तेष on February 13, 2011 at 12:28am — No Comments
चिड़िया तुम चहचहाइ
पौ फटने पर
तुम्हारे चहचहाने पर ही है
दारोमदार पौ फटने का.
अँधेरे को फाड़ कर निकलता
सिन्दूरी सूरज का गोला
चमत्कार है तुम्हारी ही आस्था का
तुम्हारी ही आस्था ने बिखेरे है
जीवन में रंग
पेड़ों को पराग
गेंहूँ को बाली
आदमी को भरा धान का कटोरा
मिला है तुम्हारे ही गीतों से
जानता हूँ आदमी आजकल
धान का कटोरा नहीं
बन्दूक की गोली लिये
ढूँढता है तुम्हे
पर…
ContinueAdded by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 12, 2011 at 10:30pm — No Comments
Added by Bhasker Agrawal on February 12, 2011 at 7:47pm — No Comments
तेरी आहट मेरे कानों को लगती है ग़ज़ल..
तेरी खुशबु मेरी साँसों में महकती सी ग़ज़ल..
तेरी बातों का सुकूँ रूह में बसती सी ग़ज़ल..
तेरा यकीं मुझे रौशनी देती सी…
Added by Lata R.Ojha on February 12, 2011 at 7:30pm — 3 Comments
ग़ज़ल :- कितने गडबड झाले हैं
कितने गडबड झाले हैं ,
और हम बैठे ठाले हैं |
तेल खेल ताबूत तोप में ,
घोटाले घोटाले हैं |
राजनीति अब शिवबरात है ,
नेताजी मतवाले हैं |
कलम की पैनी धार कुंद है ,
बाजारू रिसाले हैं |
बिकता नहीं साहित्य आजकल…
ContinueAdded by Abhinav Arun on February 12, 2011 at 7:30am — 5 Comments
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के धौड़ाई के पास माहराबेड़ा से यात्री बस को रोककर गणतंत्र दिवस के ठीक, एक दिन पहले 25 जनवरी को 5 जवानों तथा एक स्थानीय युवक को मुखबिरी के शक में नक्सली अगवा कर ले गए थे। बाद में युवक को नक्सलियों ने छोड़ दिया। इसके बाद अगवा किए गए जवानों के परिजन, नक्सलियों से लगातार गुहार लगा रहे थे, लेकिन नक्सली अपनी कुछ मांगों पर अड़े रहे। इस बीच मीडिया द्वारा मामले को कव्हरेज दिया जाता रहा। यहां बताना यह आवश्यक है कि जब से जवान अगवा किए गए थे, उसके बाद विपक्ष भी सरकार पर दबाव बनाया…
ContinueAdded by rajkumar sahu on February 11, 2011 at 11:48pm — No Comments
Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 11, 2011 at 10:39pm — No Comments
Added by Veerendra Jain on February 11, 2011 at 7:17pm — 5 Comments
रिपोर्ट :- आचार्य का बाण भट्ट काशी में
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का 'रंगमंडल' इन दिनों काशी में है | ०९ और १० फरवरी २०११ को एम.के.रैना के निर्देशन में "बाण भट्ट की आत्मकथा "का मंचन किया गया | नागरी नाटक मंडली के प्रेक्षागृह में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की इस कालजयी रचना को कलाकारों ने जीवंत…
ContinueAdded by Abhinav Arun on February 11, 2011 at 1:23pm — 6 Comments
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