For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

neeraj tripathi
  • Male
  • Anand, Gujarat
  • India
Share on Facebook MySpace

Neeraj tripathi's Friends

  • Anand kumar Ojha
  • Nitish Kumar Pandey
  • Er. Ganesh Jee "Bagi"
  • Admin

neeraj tripathi's Groups

 

neeraj tripathi's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
anand, gujarat
Native Place
allahabad
Profession
professional with non profit organisation
About me
looking to rediscover my writing passions

Neeraj tripathi's Blog

हिन्दुस्तान मेरा था

तुम्हारे दर पे वो सारा सामान मेरा था,
गली के दायें से चौथा मकान मेरा था,
और तुम जिसे कहते हो पाक़ मुल्क हुज़ूर,
पुराने वक़्त में हिन्दुस्तान मेरा था;

आज तुम मानवता की सारी मिसाल भूल गए,
पडोसी होकर के अपनी दीवार भूल गए,
हमें देखकर नुक्लिअर होना याद रहा,
हम सब का एक ही 'परवरदिगार' भूल गए;

Posted on July 17, 2011 at 10:25am

बूंदों का बहना स्वीकार करो

फुहारों में रिमझिम बरसती,

या पेड़ों के,

मादक पत्तों से,

रिस रिस कर गिरती,

ये पानी की बूँदें हैं,

इनका मौसम से,

अपना सरोकार होता है,

और ज़रा गौर करेंगे तो,

हर बूँद का,

अपना आकार होता है...



बादलों से निकलती हैं,

तो बारिश बन जाती हैं,

अनुपात में गिरें तो जीवन,

वरना बहुत कहर ढाती हैं,

अधिक होने पर,

सैलाब आता है,

और हम आप कितना भी कर लें,

धरती का दर्द,

इन्हें सोख नहीं पाता है,

और यदि ये न बरसें,…

Continue

Posted on July 17, 2011 at 10:24am

हम भी मुस्कुराएंगे

तुम जो कहते थे दोस्ती है,

हमने सोचा था आजमाएंगे;



तुम हमेशा आसरा दिखाते थे,

सोचा हम भी आशियाँ लुटाएंगे;



तुम किनारे पर मगर कैसे पहुंचे,

हमने सोचा था, दोनों डूब जायेंगे;



तुम जिस गली में रहते हो,

हम वहां अब गश्त न लगायेंगे;



तुम्हारा दामन पाक रहे हरदम,

हम गुनाहों का खाम्याज़ा पायेंगे;



तुमने तोड़े थे जो पेड़ों के पत्ते,

सूख गए हैं, हम उन्हें जलाएंगे;



तुम्हारी जिंदगी, जिंदगी रहे 'नीरज',

अज़ल से पर हम भी न… Continue

Posted on June 18, 2011 at 12:59pm — 2 Comments

आंच में ही फूलता है

आज उमस में शरीर से कुछ यूँ पसीना बहता है,

जैसे तेरी आँखों से ऐतबार बहा करता था;

मुहं से कुछ न बोलते थे लफ़्ज़ों से लेकिन,

प्यार का इक हल्का सा इकरार बहा करता था;



आज बीती बातों की बूढी कहानी हो गयी है,

लफ़्ज़ों की मासूमियत भी लफ़्ज़ों में ही खो गयी है;

ये पसीना बहते बहते आज मुझसे कह रहा है,

तुम जिसे समझे मोहब्बत, मेहरबानी हो गयी है;



हमने कितना कुछ कहा था, तुमने कितना कुछ सुना था,

फिर भी क्यों पिछला दिखाने, तुमने लम्हा वो चुना था;

उँगलियों… Continue

Posted on June 14, 2011 at 11:15am

Comment Wall (5 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:35am on May 26, 2012,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आज हमारा मेट्रो में "ओपन बुक्स ऑनलाइन" से कालम अंतर्गत ओ बी ओ सदस्य श्री नीरज त्रिपाठी जी की दो कवितायेँ प्रकाशित हुई है |

http://www.openbooksonline.com/xn/detail/5170231:Comment:229289?xg_source=activity

At 11:18pm on October 28, 2010, Ratnesh Raman Pathak said…

At 10:53pm on October 28, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 10:46pm on October 28, 2010, Admin said…

At 10:43pm on October 28, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service