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तपन जी जैसा की आप जानते है, ग़ज़ल ध्वनी आधारित मात्रिक छंद है ......
च1लो2 ज़िन२/ द1गी2 को२/ मु1हब२बत२/ ब1ना2दें२
इस तकतई को देख ले, उम्मीद है आप समझ गए होंगे | एक बात और ग़ज़ल शिल्प आदि के सम्बन्ध मे तकनिकी जानकारी ग़ज़ल की कक्षा से प्राप्त करे,
मेरे विचार में मात्रा का उच्चारण किस तरह किया जा रहा यह महत्वपूर्ण है , जरूरत के हिसाब से 'मो' का उच्चारण १ या २ दोनों में से कोई भी हो सकता है ...
मोहब्बत का मो कभी २ नहीं हो सकता क्योंकि मोहब्बत का उच्चारण मुहब्बत की तरह किया जाता है| उसी तरह जिस तरह तोहफा का तो कभी २ नहीं सकता क्योंकि सही उच्चारण तुहफ की तरह होता है|
good
//
Permalink Reply by Tapan Dubey on July 28, 2011 at 9:08pm
च लो ज़िन्दगी को मो हब्बत ब ना दें
1 2 2 1 2 2 1 22 1 2 2//
ये अरकान सहीह है ।
// agar ye sahi he to मो ko 1 aur को ko 2 kyo?//
आपने ऊपर मिसरा ग़लत लिखा है इसलिए "मो" पढ़ रहे हैं:-
'चलो ज़िन्दगी को महब्बत बना दें'
सहीह शब्द "महब्बत" है न कि 'मोहब्बत'
उम्मीद है शंका का समाधान हुआ होगा?
महोदय,
एक सुझाव करना चाहता हूँ l
---- अरविंद
"ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटा कर देखो"
आपने इस मिसरे का वज्न लिखा है
2122 2122 2122 22
ज़िन्दगी क्या/ है किताबों/ को हटा कर/ देखो
फायलातुन फायलातुन फायलातुन फैलुन
मगर इस ग़ज़ल का वज्न यह नहीं अपितु
२१२२ / ११२२ / ११२२ / २२
है
तख्तीय कर रहा हूँ देख लें
यदि आप बह्र बदल देंगे तो जो लोग धुन के पर लिखते हैं उनको लिखने में दिक्कत होगी और यह नियमतः गलत भी है
निवेदन है कि लोग इस मिसरे पर लिखना शुरु करें उससे पहले ही आप इसे बदल दें अथवा बह्र बदल कर सही लिख दें
सही बह्र हैं
२१२२ / ११२२ / ११२२ / २२
फाएलातुन / फएलातनु / फएलातुन / फैलुन
रमल मुसममन मख़बून महज़ूफ़
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