For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-144

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 144वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा जनाब राज़ इलाहाबादी साहब की गजल से लिया गया है|

" ऐ मेरी आँख के आँसू तेरी क़ीमत क्या है "

    2122                  1122                1122                 22        

 

     फ़ाइलातुन          फ़इलातुन           फ़इलातुन            फ़ेलुन

बह्र: रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़

 

रदीफ़ :-  क्या है

काफिया :- अत(किस्मत, ज़रूरत, फितरत, लज़्ज़त, इज़्ज़त, कीमत, हक़ीकत, कयामत आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनांक 24 जून दिन शुक्रवार  को हो जाएगी और दिनांक 25 जून दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 24 जून दिन  शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन

बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

राणा प्रताप सिंह 

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2846

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ0 गुलशन खैराबादी साहब बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई हार्दिक बधाई आपको 

आदरणीय अशफाक अली जी एक बहुत ही बेहतरीन गजल लिखने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं

आदाब, अशफाक़ अली, काबिलेतारीफ गज़ल कही आपने, मोहतरम, मुबारक बाद कुबूल करें ! हाँ, मतले के ऊला में, " है " पुनरावृत्ति, रदीफ़, " क्या है " के अलावा थोड़ा खलती है! देखिए गा, इससे बचा जा सकता था !

आप का बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम

आप का बहुत बहुत धन्यवाद

आप जो सही समझें वो बता दें मेहरबानी होगी

2122 1122 1122 22        

1

पूछ बैठें हैं जो हमसे कि महब्बत क्या है 

पहले वो हमको बता दें ये शरारत क्या है

2

वो झुका लेते हैं नज़रों को मिला कर नज़रे

ग़र न है इश्क़ ये तो और महब्बत क्या है

3

दिल कभी इससे कभी उससे लगाने वाले

कौन समझाए तुझे रिश्तों की क़ीमत क्या है

4

लालिमा देख के चेहरे की बता सकती हूँ

सामने बैठे हुए शख़्स की सीरत क्या है

5

मुझ प इल्ज़ाम ज़फ़ाई का लगाने वाले

इतना तो देखता आ कर कि हक़ीक़त क्या है 

6

मुस्कुराते हुए होटों से कभी मत पूछो 

आँख में ठहरे हुए मोती की क़ीमत क्या है

7

जज़्ब कर लूँ मैं कई उठते समंदर पल में 

तू नहीं जानता मेरे शे'र की शिद्दत क्या है 

8

इन तब्बसुम सजे होंटों से बता दे "निर्मल"

मेरी साँसों की तेरी साँसों से निस्बत क्या है

गिरह

जज़्ब कर लूँ मैं कई उठते समंदर पल में 

" ऐ मेरी आँख के आँसू तेरी क़ीमत क्या है "

मौलिक व अप्रकाशित 

आदरणीय रचना भाटिया जी, तरही मिसरे पर सुंदर गज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ।

जज़्ब कर लूँ मैं कई उठते समंदर पल में   

"तू नहीं जानता मेरे शे'र की शिद्दत क्या है" ... यह मिसरा बह्र से ख़ारिज है। 

जज़्ब कर लूँ मैं कई उठते समंदर पल में 

" ऐ मेरी आँख के आँसू तेरी क़ीमत क्या है "... जो मिसरा आप 7 वें शे'र में लिख चुके हैं फिर उसी को गिरह के शे'र में कैसे ले सकते हैं? 

 

आ. बेहद सुन्दर गिरह लगाई, इस बार, कदचित मुशाइरे की सबसे सुन्दर , लेकिन मोहतरमा शेर (7) में यही ऊला मिसरा है । कुल  गज़ल मे वही क़मी है, जो अमीर साहब बता रहे हैं ,, बधाई !

आदरणीय रचना जी नमस्कार

ख़ूब ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये

अमीर जी से सहमत हूँ

सादर

आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

भाई अमीरुद्दीन जी की बात का संज्ञान लें।

आदरणीया रचना भाटिया जी अच्छी ग़ज़ल कहीं बहुत-बहुत बधाइयां। आदरणीय अमीर उद्दीन जी की बात संज्ञान में लें

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। लाजवाब गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Dr. Ashok Goyal's blog post ग़ज़ल :- बह्र ए रमल मुसद्दस सालिम
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-155 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक…"
19 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"जनाब मो० अनीस अरमान जी, ग़ज़ल पर आपकी दाद मिली, इसके लिए आपका दिली शुक्रगुजार हूं।"
19 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आदरणीया रचना भाटिया जी, सादर नमस्कार। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति एवं हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया।"
19 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आदरणीय अजय कुमार जी, सादर नमस्कार। आपका हार्दिक धन्यवाद।"
19 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आदरणीय दंडपाणि जी, सादर नमस्कार। आ० समर कबीर जी की बात से सहमत हूं। ऐसा लगता है आपने जल्दबाजी में…"
20 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आदरणीय Ravi Shukla साहिब आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें। //आपके पास है…"
20 hours ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"जनाब मो० अनीस अरमान साहब, आदाब। तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है। मुशायरे में शिरकत के…"
20 hours ago
dandpani nahak replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"जी बहुत-बहुत शुक्रिया परम आदरणीय "
20 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"धन्यवाद जतिन जी"
20 hours ago
नाथ सोनांचली replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आद0 शिज्जु शकूर साहब सादर अभिवादन। अच्छी ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार कीजिये"
20 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service