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अनुमोदन हेतु आभार आपका
यह कैसा साथी अर्चना जी पहले अपनी जिम्मेदारी पत्नी के सिर डाल अब अकेले पन की शिकायत कर रहा है और फ़िर से उसी से शिकायत भी पुरुष के कुत्सित विचारो को दर्शाति बढिया कथा.बधाई
वाह रे पुरुष समाज उन्हें सदा सीता उर्मिला चाहिए क्या कभी खुद राम या लक्ष्मण बनने का प्रयास किया सभी उम्मीदें स्त्री से ही क्यूँ अपनी ख़ुशी ढूँढने का प्रयास किया नायिका ने वो भी सहन नहीं हो रहा | बहुत अच्छी लघु कथा बधाई आपको अर्चना जी
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