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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार 93 वां आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

19 जनवरी 2019 दिन शनिवार से 20 जनवरी 2019 दिन रविवार तक
 
इस बार का छंद है - 

दोहा छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है.    

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंग

दोहा छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

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आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 19 जनवरी 2019 दिन शनिवार से 20 जनवरी 2019 दिन रविवार तक यानी दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

भाई सत्यनारायण जी दिल से आभार आपका।

चित्र को परिभाषित करते हुए सभी अच्छे दोहें, आदरणीय समर साहब का सुझाव सामयिक है।  पथभ्रष्ट को देख लीजियेगा, बधाई आपको। 

कुछ संबंधी जुर्म के,काले जिनके काम।
काले कपड़े बाँधकर,छुपा रखा निज नाम।।//   वाह   प्रदत्त चित्र को शब्द देते शानदार दोहे   हार्दिक बधाई आदरणीया  सुचिसंदीप अग्रवाल जी  

वाह वाह ! .. आपकी प्रस्तुति सहज और संयत बन पडी है आदरणीया सुचिसंदीप अग्रवाल जी.  चित्र को आवश्यकतानुसार शब्द मिला है. बधाई. 

आदरणीय समर भाई के कहे पर ध्यान दें ..

साथ ही  कुछ युवा यह पाप .. इस चरण की गेयता भंग हो रही है क्योंकि कुल मात्रा दस ही है. 

कुछ द्विकल शब्द है जिसके बाद युवा जोकि त्रिकल शब्द है का आना विन्यास के अनुसार सही नहीं है. 

आयोजन में आपकी भागीदारी का स्वागत है. 

सादर 

दोहे

 

 

पत्थर हाथों में लिए , आतुर लेने जान |

काबू में आतंक के, युवा शक्ति बे-भान ||

 

पत्थरबाजी हो रही, सैनिक सहते चोट |

नेता हल खोजें नहीं , चाहें केवल वोट ||

 

रोज-रोज नाराजगी, रोज-रोज उत्पात |

ठोस नीति बिन भी कभी, बनती है क्या बात ||

 

केसर मुरझाने लगा , ख़त्म हुआ व्यापार |

फसलें नफरत की उगा, खुश दिखते गद्दार ||

 

स्वर्ग कहा था कल जिसे, आज वही है नर्क |

मिला मुल्क को किसलिए , पीडादायी कर्क ||

 

भटक गए जो मार्ग से, लाओ उन्हें करीब |

सुधरेगा हर हाल में , बिगड़ा हुआ नसीब ||

 

मौलिक/अप्रकाशित.

जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,वाह वाह,बहुत ख़ूब, प्रदत्त चित्र को सार्थक करते बहुत उम्दा दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत दोहों पर आपकी सराहना पाकर सृजन कार्य सफल हुआ. आपका हृदयातल से आभार. सादर. 

आदरणीय अशोक रक्ताले जी सादर 

     प्र्दत्त्त चित्र के अनुकुल सुन्दर एवं सार्थक दोहावली का सृजन हुआ है आदरणीय हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

स्वर्ग कहा था कल जिसे, आज वही है नर्क |

मिला मुल्क को किसलिए , पीडादायी कर्क || ... वाह बहुत सार्थक अभिव्यक्ति 

सादर 

आदरणीय भाई सत्यनारायण सिंह जी सादर, प्रस्तुत दोहावली पर आपकी सराहना से प्रस्तुति को बल मिला है आपका अतिशय आभार. सादर.

आदरणीय अशोक भाईजी

सार्थक सटीक सुंदर दोहावली के लिए हृदय की गहराई से बधाई। कर्क का बेहतर प्रयोग किया आपने।

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत दोहावली की प्रशंसा से सृजन को मान मिला है. आपका हार्दिक आभार. सादर. 

वाह अशोक भाई साहब, बहुत ही उम्दा एवम उत्तम दोहे। बहुत बधाई।

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