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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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//माना अशआर के नये निकले
जब भी दिल से सुना गया है मुझे //3 ...यहाँ शायद मआनी होना चाहिए था ..जो मिसरे को बेबहर कर देता|//

जनाब राणा साहिब,इस शैर में सहीह शब्द 'मा'ना' ही है, जिसे लिखने में राज़ साहिब ने "माना" कर दिया है ।

आदरणीय राणा प्रताप सिंह साहब, ग़ज़ल में शिरकत, हौसला अफज़ाई, एवं इस्लाह का तहे दिल से शुक्रिया. बताये गए सुझावों पर अमल करता हूँ. सादर. 

ग़ज़ल उम्दा हुई है आ० राज नवादवी साहिब, बधाई प्रेषित है. जिस अशआर की जानिब मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब और भाई राणा प्रताप सिंह जी ने इशारा किया है, उन पर दोबारा ग़ौर फरमा लें. 

आदरणीय योगराज प्रभाकर साहब, ग़ज़ल में शिरकत, हौसला अफज़ाई, एवं इस्लाह का तहे दिल से शुक्रिया. बताये गए सुझावों पर अमल करता हूँ. सादर. 

आदरणीय राज साहब, लाजवाब गजल कही। मुबारकबाद। बाकी उस्ताद शायरों ने कह ही दिया है।

आदरणीय अरुण निगम साहब, ग़ज़ल में शिरकत, हौसला अफज़ाई, एवं इस्लाह का तहे दिल से शुक्रिया. बताये गए सुझावों पर अमल करता हूँ. सादर. 

ग़ज़ल के लिएबधाई राज साहब|

बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है आ राज नवादवी साहब, //मुझपे आइद है लब की पाबंदी
सद्र सबका चुना गया है मुझे// यह शेर तो बहुत कमाल का हुआ है. शेर दर शेर मुबारकवाद कुबूल कीजिये

बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय राज नवादवी जी | हार्दिक बधाई |

मुझपे आइद है लब की पाबंदी
सद्र सबका चुना गया है मुझे //2  बहुत खूब| 

सोच में अब भी तेरी जकड़न है
इस क़दर तू दबा गया है मुझे //9

राज़ मुझको को मिटाना है मुश्किल
ख़ूने दिल से लिखा गया है मुझे //10  बहुत खूब | 

आदरणीय राज जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.

ग़ज़ल नंबर :- 1

बीओ रास आ गया है मुझे
थ वफ़ा का दिखा गया है मुझे

ष्ट ऐसे ही सबको होना है
बुलबुला ये बता गया है मुझे

क्या भरोसा करूँ किसी पर मैं 
बके हाथों छला गया है मुझे

ज शैताँ के जाल में फँस कर
फ़्स पत्थर बना गया है मुझे

लाके महबूब की गली में "समर"
श्क़ क्या क्या दिखा गया है मुझे

म हैं आँखे तो क्या हुआ यारो
"सब्र" करना तो आ गया है मुझे"

.

मौलिक/अप्रकाशित

दोस्तो,
मेरी इस ग़ज़ल में हर मिसरे के पहले अक्षर को उपर से नीचे के क्रम में मिला कर पढेंगे तो आप "ओपन बुक्स आन लाइन" लिखा हुआ पाऐंगे, ये मेरी तरफ़ से ओबीओ परिवार के लिये एक नाचीज़ तुहफ़ा है ।

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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

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