For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल#(आज के दिन पर)

22  22  22  22
मूर्खों का सम्मेलन हो फिर,
बीतीं बातें,चिंतन हो फिर।1

उम्र हुई तो क्या होता है
सुन्नत,चाहे मुंडन हो फिर।2

अपने तर्क उठाते रहिये
औरों का बस खंडन हो फिर।3

जात-धरम अवसाद हुए कब?
मुँहदेखी हो,मंडन हो फिर।4

भाषा,भनिति अबला जैसी
नाच नचा लें,ठन-ठन हो फिर।5

पीठ नहीं पूजी जाये तो
चलते-फिरते अनबन हो फिर।6

पढ़ने से परहेज भला है
मतलब कुछ हो, लेखन हो फिर।7

नंग-धड़ंग चुहलबाजी हो,
अपनी दुनिया लंदन हो फिर।8

हो लें आज पुरस्कारी तो
वाणी अपनी खन खन हो फिर।9
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 707

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Harash Mahajan on April 7, 2018 at 11:14am

आदरणीय मनन जीआदाब, अच्छी गजल के लिए हार्दिक बधाई ।

सादर !

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on April 6, 2018 at 5:23am
आदरणीय मनन कुमार जी खूबसूरत व्यंग्य ग़ज़ल कहने के लिये बहुत बहुत बधाई।
Comment by Manan Kumar singh on April 5, 2018 at 8:14am

आभारी हूँ आदरणीय।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 4, 2018 at 11:09pm

आ. भाई मनन जी, सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई ।

Comment by Manan Kumar singh on April 4, 2018 at 9:43pm

आदरणीय बसंत जी,आपका आभार।

Comment by Manan Kumar singh on April 4, 2018 at 9:43pm

आभारी हूँ आदरणीय बृज जी।

Comment by Manan Kumar singh on April 4, 2018 at 9:42pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय विजय जी।

Comment by Manan Kumar singh on April 4, 2018 at 9:42pm

आपका आभार आदरणीय आरिफ जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 4, 2018 at 5:22pm

अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय..सादर

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 4, 2018 at 12:29pm

वाह वाह बहुत सुंदर गजल हुई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service