For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - जानवर कितने समझदार मिले

बह्र- फाइलातुन मुफाइलुन फैलुन
2122 1212 22

शेर की खाल में सियार मिले।
जानवर कितने समझदार मिले।

मुझसे जो दूर दूर रहते थे,
जब पड़ा काम बार बार मिले।

जिनकी किस्मत में सिर्फ बीड़ी है,
उनके होठो पे कब सिग़ार मिले।

हर किसी की यही तमन्ना है,
देश में सबको रोजगार मिले।

कैसी हसरत है नौजवानों की,
उनको शादी मैं मँहगी कार मिले।

उसने टरका दिया हमें हर बार,
उससे दफ्तर में जितनी बार मिले।

अपनी किस्मत में खोट है साहब,
फूल चाहा तो हमको खार मिले।

नीबू जैसे हमें निचोड़ा है,
हमको ऐसे भी दोस्त यार मिले।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1200

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 29, 2017 at 7:59pm

आदर्णीय संदीपकुमार पटेल जी ग़ज़ल पसन्दगी के लिये सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 29, 2017 at 7:49pm

ग़ज़ल हुई है या हज़ल हुई है ..................बाकमाल सिस्टम पर तंज कसती हुई इस ग़ज़ल के लिए दिली मुबराकबाद आदरणीय 

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 25, 2017 at 3:52pm

आदर्णीय बलराम धाकड़ जी ग़ज़ल पसन्दगी के लिये सादर आभार

Comment by Balram Dhakar on December 25, 2017 at 11:23am

आदरणीय राम अवध जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने।दिल से मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

सादर।

Comment by surender insan on December 18, 2017 at 9:12am

वाह जी वाह बहुत अच्छा प्रयास ग़ज़ल का जी। बहुत बहुत बधाई हो जी।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 10, 2017 at 2:15pm

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय राम अवध जी, बधाई स्वीकार करें।

Comment by Gajendra shrotriya on November 7, 2017 at 3:37pm
आ० रामअवध जी नमस्कार!बहुत अच्छे और नये अशआर कहे हैं आपने। इस सार्थक और कामयाब ग़ज़ल के लिए मेंरी बधाई स्वीकार करें।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 6, 2017 at 11:19pm
आ. भाई रामअवध जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 6, 2017 at 8:53pm
वाह आदरणीय बहुत शानदार मतला के साथ ग़ज़ल खूब हुई..सादर
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on November 6, 2017 at 2:33pm
धन्यवाद आदरणीय मोहम्मद आरिफ सर जी ग़ज़ल सराहना के लिये।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
10 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
11 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
16 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
22 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service