For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

३००वीं कृति .... श्रृंगार दोहे ...

३००वीं कृति .... श्रृंगार दोहे ...

मन चाहे करती रहूँ , दर्पण में शृंगार।
जब से अधरों को मिला, अधरों का उपहार।1।

अब सावन बैरी लगे, बैरी सब संसार।
जब से कोई रख गया, अधरों पे अंगार।2।

नैंनों की होने लगी , नैनों से ही रार।
नैन द्वन्द में नैन ही, गए नैन से हार।3।

जीत न चाहूँ प्रीत में , मैं बस चाहूँ हार।
'दे दे मेरी देह को', स्पर्शों का शृंगार।4।

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 686

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 21, 2017 at 5:32pm

आदरणीय डॉ प्राची सिंह जी सृजन को अपनी मनोहारी प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 21, 2017 at 5:30pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सृजन के भावों को सहमति देती आत्मीय प्रशंसा से सृजन सार्थक हुआ।  आपकी शुभकामनाओं का हार्दिक आभार। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 19, 2017 at 1:17pm

वाह बहुत सुन्दर शृंगारिक दोहे 

नैंनों की होने लगी , नैनों से ही रार। 
नैन द्वन्द में नैन ही, गए नैन से हार।....शानदार शब्द चित्र 

सभी एक से एक बढ़िया है 

बहुत बहुत बधाई आ० सुशील सरना जी 

Comment by नाथ सोनांचली on November 18, 2017 at 11:45am
आद0 सुशील सरना जी स्आदर अभिवादन। 300वी कृति पर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं। आप सृजन पथ पर नित नए आयाम गढ़ते रहें, ऐसी शुभकामना प्रेषित है। सादर
Comment by Sushil Sarna on November 15, 2017 at 8:02pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब। ... सृजन के भावों को आत्मीय सम्मान देने का दिल से आभार।  आपका कहन  बिलकुल सही है।  मैं इसे अभी एडिट कर सुधार  हूँ। इस हेतु आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Samar kabeer on November 15, 2017 at 5:19pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'दे दे देह को मेरी'
इसके विषम चरण में 212 होना चाहिए यहां 222हो रहा है,इसे यूँ कर सकते हैं:-
'देदे मेरी देह को'
Comment by Sushil Sarna on November 15, 2017 at 4:44pm

आदरणीय बृजेश कुमार जी सृजन आपकी स्नेहिल अभिव्यक्ति का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on November 15, 2017 at 4:43pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब, आदाब, सृजन के भावों को अपनी अमूल्य प्रशंसा से शोभित करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on November 15, 2017 at 4:43pm

आदरणीय सलीम रज़ा साहिब, आदाब , सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 15, 2017 at 3:52pm
उत्तम दोहे आदरणीय..बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service