For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -वज़ीरों में हुआ आज़म, बना वह अब सिकंदर है

काफिया : अर ;रदीफ़ : है

बह्र ; १२२२  १२२२  १२२२  १२२२

वज़ीरों में हुआ आज़म, बना वह अब सिकंदर है

विपक्षी मौन, जनता में खमोशी, सिर्फ डरकर है |

समय बदला, जमाने संग सब इंसान भी बदले

दया माया सभी गायब, कहाँ मानव? ये’ पत्थर हैं |

लिया चन्दा जो’ नेता अब वही तो है अरब धनपति 

जमाकर जल नदी नाले, बना इक गूढ़ सागर है |

ज़माना बदला’ शासन बदला’ बदली रात दिन अविराम

गरीबो के सभी युग काल में अपमान मुकद्दर है |

अदालत में सफल मुक्तार जज के मन को’ पढ़ लेता

करे जो शाह की गुणगान वो विजयी सुखनवर है |

सभी व्याकुल हैं, क्या इंसान, पशु, पक्षी, सकल है त्रस्त

तृषित सब जीव, मीठा जल कहाँ ? प्यासा समंदर है |

हिफाज़त देश की है फ़र्ज़ नेता, आम, सैनिक का

रहे तैयार करने जान सीमा पर निछावर है |

अनूठा ताज को क्यों तर्क का मुद्या बनाया अब

किसी ने भी किया निर्मित, यही अनुपम धरोहर है |

मनोहर बात करके आम को वो मोहते हरबार

दबाकर भोगते सुख सुविधा, जनता जीस्त दूभर है |

सगा कोई नहीं पैसा ही’ माई बाप है सबका

सहोदर से सहोदर क़त्ल, ‘काली’ कैसा’ मंज़र है |

मौलिक/अप्रकाशित 

 

Views: 651

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 26, 2017 at 8:36pm

आ डॉ आशुतोष मिश्र जी ,हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 26, 2017 at 8:35pm

आदरणीय सलीम रज़ा साहिब आदाब , हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 26, 2017 at 8:33pm

आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब , हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया | मेरा मक्सद आपकी नज़रों में  खरा उतरना है |आपका मुबारकवाद एक इनाम मानता हूँ |सदर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 26, 2017 at 6:14pm
आदरणीय इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सादर
Comment by SALIM RAZA REWA on October 26, 2017 at 3:15pm
आo ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारक़बाद.
Comment by Samar kabeer on October 26, 2017 at 2:41pm
जनाब कालीपद प्रसाद मण्डल जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 26, 2017 at 11:25am

आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहिब आदाब , हौसला अफजाई के लिए तहेदिल से शुक्रिया |

Comment by Mohammed Arif on October 26, 2017 at 7:46am
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बेहद दिलकश ग़ज़ल ! शानदार! ढेरो दाद।"
16 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//आपको फिलहाल कोई ऐसी किताब पढ़नी चाहिए जो आपका अहं कम कर सके//  आज़ी तमाम महोदय ! इस…"
23 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//उसकी तारीफ़ में जो कुछ भी ज़ुबां मेरी कहेउसको दरिया-ए-मुहब्बत की रवानी लिखना// वाह! नयापन है इस…"
53 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ! अच्छी ग़ज़ल से मुशाइरा आरंभ किया आपने। बहुत बधाई! // यूँ वसीयत में तो बेटी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हर कहानी को कई रूप रुहानी लिखना जाविया दे कहीं हर बात नूरानी लिखना मौलवी हो या वो मुल्ला कहीं…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल पर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय दयाराम जी ग़ज़ल पर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सादर आदरणीय सौरभ जी आपकी तो बात ही अलग है खैर जो भी है गुरु जी आदरणीय समर कबीर ग़ज़ल के उस्ताद हैं…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी शुक्रिया आदरणीय मंच के नियमों से अवगत कराने के लिए"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश जी, गलती से ऐसा हो गया था। आपकी टिप्पणी के पश्चात ज्ञात हुआ तो अब अलग से पोस्ट कर दी…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"ग़ज़ल - 2122 1122 1122 22 काम मुश्किल है जवानी की कहानी लिखनाइस बुढ़ापे में मुलाकात सुहानी लिखना-पी…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरी समर साहब से तीन दिन पहले ही बातें हुई थीं। उनका फोन आया था। वे 'दुग्ध' शब्द की कुल…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service