For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक पति की आत्मस्वीक्रति

  चुन्नों, मेरा चश्मा कंहा रखा है ? चुन्नो मेरी नयी वाली कमीज नहीं मिल रही है, चुन्नो तुमने मेरा रुमाल देखा है क्या? चुन्नो एक कप चाय मिलेगी क्या? चुन्नो चुन्नो चुन्नो सच घर आते ही चुन्नो चुन्नो के नाम की माला जपने लगता हूं। सच आफिस मे रहता हूं तो आफिस की छोटी छोटी बातें नही भूलती पर घर आते ही जैसे यादें हैं कि साथ छोड के फिर से आफिस मे ही दुपुक जाती हैं ये कह के कि जाओ अब अपनी चुन्नो के साथ ही रहो मेरी क्या जरुरत है वो जो है न तुम्हारी और तुम्हारे घर की हर छोटी बडी चीजें याद रखने के लिये। और सच चुन्नो सिर्फ यादें ही क्यूं घर आते ही न जाने क्यूं निर्णय लेनी की क्षमता को भी जैसे ग्रहण लग जाता है। छोटी छोटी बातों के लिये भी तुम्हारी सलाह के बिना काम नही कर पाता चाहे वह सब्जी लाने का हो तो पूछना पडता है बाजार जा रहा हूं क्या सब्जी लाउं? शाम की पार्टी मे कौन सी ड्रेस पहनूं। इस दिवाली पे दीवारों पे कौन सा रंग करवाऊँ या कि दोस्त की सालगिरह पे क्या गिफ़्ट देना है, बेटे को इस सर्दी पे सूट बनवाया जाये कि ब्लेजर ही दिलवाया जाये, सच ये सब भी बिना तुमसे पूछे निर्णय नही ले पाता। भले ही तुम डिझकती रहो कि मैने हर बात का ठेका ले लिया है क्या कोई काम तुम अपने मन से नही कर सकते हो क्या। पर न जाने क्यूं तुम्हारी ये झिडकी और डांट भी अच्छी लगती है और मै तुम्हारा मनुहार करने लगता हूं और तुम भी तो हो न थोडी देर बाद बनावटी गुस्से से उठ कर चल देती हो चाय बनाने या किचन का काम करने यह कहते हुये कि ‘मुझसे बार बार क्या पूछते रहते हो जो तुम्हारी मर्जी हो वो करो। हर काम मुझसे पूछ के करते हो क्या ? जब तुमको अपनी उस आफिस वाली के बर्थ डे मे जाना होता है तब तो नही पूछते हो कि आज कौन सी कमीज पहनू या कौन सा गिफ़्ट ले जाऊँ तब तो खुद ही बाजार से खरीदते हुए फुदकते हुये ले आये थे तो आज भी वही कर लो।’ और फिर मै अपनी सफाई देते हुए तुम्हारे पीछे पीछे किचेन तक आ जाता हूं और तुम कहती हो ‘जाओ नाटक मत करो मै सब समझती हूं’ 
सच चुन्नो आज शादी के उन्नीस साल बाद भी बाथरुम मे टॉवेल ले जाने की आदत नही पडी और तुम्हे ही आवाज देना पडता है। जब किसी दिन तुम घर पे नही होती हो तो सच, तब कई बार तो बाथरुम से गीले ही निकलना पडता है।
जानती हो चुन्नो आज इतने सालों बाद मै समझा कि अपने हिन्दू रीत रिवाजो वाली शादी मे फेरों के वक्त वर वधू के उपर धान से वर्षा करके क्यूं आषिर्वाद लेते है। तो सूनो एक तो धान से आर्षिवाद देना का मतलब होता हो कि ‘हे, वर वधू तुम लोगों का जीवन धन धान्य से परिपूर्ण रहे और जैसे धान की भुस मे धान लिपटा होता है वैसे ही तुम वर वधू भी एक दूसरे के पूरक रहो साथ रहो। तो सच चुन्नो तुम धान हो और मै धान की भूसी हूं और षायद तभी तुम जो अक्सर मजाक मे कहती हो कि तुम्हारे दिमाग मे भूंसा भरा है तो सही ही कहती हो मेरी चुन्नो।
चुन्नो आज शादी के इतने दिनों बाद जब पीछे मुड मे देखता हूं। तो विश्वास नही होता साल के इन उन्नीस सालों मे हमने इतने सारे आंधी तूफान और आषा निराषा के ढेरों गहवर और र्पवत पार कर आयें हैं। 
आज जब जीवन की लगभग समतल भूमि पर चल कर लगता ही नही कि इतनी कठिन यात्रा किस तरह कट गयी।
मुकेश इलाहाबादी ---------------

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 519

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on September 19, 2017 at 9:30am
आदरणीय मुकेश श्रीवास्तव जी आदाब, सुंदर रचना के लिए बधाई ।
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on September 18, 2017 at 4:47pm

rancha pasandgee ke liye aabhar adrneey SAMEER KABEER JEE, NILESH JEE , SALIM RAZAA JEE 

Comment by Samar kabeer on September 18, 2017 at 4:28pm
जनाब मुकेश जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 18, 2017 at 12:57pm

आत्मस्वीकृति सही होगा ..
सादर 

Comment by SALIM RAZA REWA on September 18, 2017 at 12:48pm
भाई मुकेश जी,
आपकी कहानी पड़कर दिल खुश हो गया, भाई मै भी इसी तरह अपनी चुन्नी पर डिपेंड हूँ.... मुबारक़बाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Sep 30

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service