For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शॉर्ट एण्ड स्वीट - लघुकथा / शेख़ शहज़ाद उस्मानी

'गणेश चतुर्थी' के एक दिन पूर्व विद्यालय में प्रार्थना-सभा में, अपनी बारी आने पर, शिक्षक ने बड़े जोश में भाषण दे डाला। श्रीगणेश जी के गजानन रूप धारण से लेकर उनसे जुड़ी मान्यताएं बताकर वे उनके शरीर के भागों से जुड़ी शिक्षाप्रद मान्यताएं भी सुना ही रहे थे कि एक वरिष्ठ शिक्षक ने इशारा करते हुए भाषण रुकवा दिया। बहुत ही शांति के साथ भाषण सुनने के बाद उस अंग्रेज़ी माध्यम विद्यालय के छात्रों ने तो ज़ोरदार तालियां बजायीं, लेकिन शिक्षकों ने नहीं। भाषण देने वाले शिक्षक को कुछ अजीब सा लगा।

कक्षा में पहुंचने पर बच्चों के विशेष अनुरोध पर वे गणेश जी व गणेश चतुर्थी के महत्व के बारे में जानकारी दे ही रहे थे कि एक छात्रा ने रंगीन चॉकें देते हुए कहा - "सर, ब्लैक-बोर्ड पर 'हैप्पी गणेश चतुर्थी' लिख दीजिए।"

"गणेश जी भी बना देना सर!" एक छात्र ने तेज़ आवाज़ में कहा।

बड़े ही सुंदर तरीक़े से ऐसा ही किया गया। सभी छात्रों ने ज़ोरदार तालियां बजायीं। शिक्षक महोदय के स्टाफ-रूम में पहुंचने पर पीछे से एक अन्य वरिष्ठ शिक्षक शर्मा जी ने कहा -" ख़ान साहब, भाषण तो बड़ा अच्छा देते हो, पर ज़रा समय का भी ध्यान रखा करो, हिन्दी के शब्दों से परहेज़ करो!"

"क्यों? क्या हुआ?"

"हुआ कुछ नहीं सर जी! पर इतना तो हमारे प्रिंसिपल सर भी नहीं बोलते! शोर्ट एंड स्वीट का ज़माना है! सुना है कि कक्षा में भी आपने समय बरबाद कर दिया! ख़ान साहब, पहले कोर्स पूरा करवाओ शोर्ट कट से!"

टाइट जीन्स और टी-शर्ट पहने उन शिक्षक महोदय पर एक नज़र डालकर वे दूसरी कक्षा की ओर चल दिए।

(मौलिक व अप्रकाशित)
[२५-८-२०१७/गणेश चतुर्थी]

Views: 829

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 31, 2017 at 4:34pm
रचना पर उपस्थित हो कर प्रोत्साहित करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय फूल सिंह जी।
Comment by PHOOL SINGH on August 31, 2017 at 4:04pm

बेहतरीन

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 30, 2017 at 8:11pm
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय मनीषा सक्सेना जी हौसला अफज़ाई के लिए।
Comment by Manisha Saxena on August 30, 2017 at 10:47am

लघुकथा बहुत अच्छी लगी |आजकल कॉन्वेंट स्कूल में विषय को छूकर निकलने का चलन है जो ये कथा बहुत अच्छी तरह बताती है |

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 29, 2017 at 12:11am
रचना का अनुमोदन करने, पसंद करने वालों हौसला अफज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहब, जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप', जनाब बसंत कुमार शर्मा जी, जनाब विजय निकोरे साहब, और आदरणीय कल्पना भट्ट जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 29, 2017 at 12:06am
मेरी इस रचना पर समय देकर अपनी राय से अवगत कराने व कमियों पर रोशनी डालते हुए हौसला अफज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब रवि प्रभाकर साहब। कोन्वेंट वाली बात मेरे मन में भी आई थी। लेकिन सस्पेंस बनाते हुए अंग्रेज़ी माध्यम का ज़िक्र आगे करना चाहा। कसावट के लिए सुझाव का स्वागत है। वास्तव में इस रचना का आधा भाग ताज़ी सच्ची घटना है, इसी कारण कक्षा में जाना चित्र बनाने की बात कहने से स्वयं को रोक न सका। कसावट के लिए बेहतरीन सुझाव के लिए सादर हार्दिक आभार।
Comment by Ravi Prabhakar on August 28, 2017 at 8:29pm

बढ़ीया कथानक व सुन्‍दर वाक्‍य विन्‍यास से सुसज्‍जित लघुकथा हेतु असीम शुभकामनाएं । / बहुत ही शांति के साथ भाषण सुनने के बाद उस अंग्रेज़ी माध्यम विद्यालय के छात्रों ने तो ज़ोरदार तालियां बजायीं, लेकिन शिक्षकों ने नहीं। भाषण देने वाले शिक्षक को कुछ अजीब सा लगा।/ यहां अंग्रेजी माध्‍यम वि़द्यालय लिखने के स्‍थान पर शुरू में ही / 'गणेश चतुर्थी' के एक दिन पूर्व विद्यालय में प्रार्थना-सभा में / एक दिन पूर्व कान्‍वेंट स्‍कूल में लिखना लघुकथा में कसावट लाता । कक्षा में जाना और ब्‍लैक बोर्ड पर लिखना आदि मुझे अनावश्‍यक सा लगा । इसके न होने से भी लघुकथा के प्रभाव पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता । बहरहाल सद्प्रयास हेतु शुभकामनाएं स्‍वीकारें ।

Comment by नाथ सोनांचली on August 28, 2017 at 1:55pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी सादर अभिवादन,बहुत ख़ूब वाह, अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर दिल खोल बधाई स्वीकार करें ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 27, 2017 at 8:07pm

लाजबाब प्रेरक शिक्षाप्रद सृजन 

Comment by vijay nikore on August 27, 2017 at 5:15pm

लघुकथा में ताज़गी है। पढ़ कर मन प्रसन्न हुआ। हार्दिक बधाई, शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service