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"OBO लाइव तरही मुशायरे"/"OBO लाइव महा उत्सव"/"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता के सम्बन्ध मे पूछताछ

"OBO लाइव तरही मुशायरे"/"OBO लाइव महा उत्सव"/"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता के सम्बन्ध मे यदि किसी तरह की जानकारी चाहिए तो आप यहाँ पूछताछ कर सकते है !

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मुख्य पृष्ठ के बाईं तरफ देखें आ० सुरेन्द्र इंसान जी, फरवरी माह का कैलेंडर वहाँ लगा हुआ हैI

इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब मख़दूम मुहिउद्दीन साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

 
उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात "

मुफाइलुन     फइलातुन     मुफ़ाइलुन    फइलुन/फेलुन

1212      1122     1212    1121/221/22/112

(बह्र: मुज्‍तस मुसम्मन् मख्बून मक्सूर
रदीफ़ :- की बात 
काफिया :- आर (प्यार, बहार, दयार आदि)

 

जी बेहद शुक्रिया जी आपका आदरणीय।

आदरणीय नमन 

आदरणीय , ग़ज़ल पोस्ट करने की प्रक्रिया बताएं ...

पहले भी एक दो बार प्रयास किया ...पर मुशायरे में भाग लेने से असफल रहा 

कृपया राह दिखाएँ 

शुक्रिया 

मुशायरे की अवधि २४ मार्च  से लेकर २५ मार्च तक है अर्थात मुशायरे में आज मध्य रात्रि के बाद से ग़ज़लें पोस्ट की सकती हैं, रिप्लाई बॉक्स अभी बंद है जो मध्य रात्रि से खुल जायेगा|

मुशायरे का लिंक http://www.openbooksonline.com/forum/topics/81

आदरणीय सादर नमन जी।
क्या ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 80 का संकलन आ गया है यदि हाँ तो लिंक दे या बताये की मैं कैसे देख सकता हूँ जी।
सादर जी।
आदरणीय नमस्कार
कविता हमे किस ईमेल id पे भेजनी है और क्या हमें केवल कविता भेजनी है उसके नीचे नाम फ़ोन नो इत्यादि नही होना चहिए?

कोई भी रचना सीधे सम्बन्धित आयोजन में पोस्ट करनी होती है भाई राहुल गर्ग जी. मुख्य पेज के बायीं तरफ इस महीने के आयोजनों का केलेंडर है पूरी जानकारी वहां से हासिल कर सकते हैं.    

sir kripya post kaise kahan par karna hai ye batayein kyunki me bilkul naya hun abhi

कृपया बताएं कि 92वें  तरही मुशायरे की ग़ज़ल का संशोधन कब किया जा सकेगा और जानकारी कैसे मिलेगी

आ. अंजलि जी 
आप अपनी मूल प्रति संशोधित   कर लें... जैसे ही राणा भाई को थोडा वक़्त मिलेगा वो  संकलन जारी कर देंगे.. उस समय आप उनसे आग्रह कीजियेगा 
सादर 

आदरणीय राणा प्रताप जी तरही मुशायरा 96 फिराक गोरखपुरी साहब का जो मिसरा दिया गया है मुझे लगता है यह मिसरा कुछ त्रुटि पूर्ण है फिराक साहब की मूल ग़ज़ल का मिसरा यूँ है रात भी नींद भी कहानी भी, हाय क्या चीज़ है जवानी भी। इसकी बह्र फ़ाइलुन फ़ाइलुन मुफाईलुन दी गई है। इस ग़ज़ल के तीसरे सेकंड लास्ट और आखिरी शेर का अवलोकन करने पर इसमें बह्र फ़ाइलातुन मुफाइलुन फैलुन यह मिलती है इस बह्र का निर्वाह होता है तो हम यह मान सकते हैं कि इस मिसरे की बह्र फ़ाइलातुन मुफाइलुन फैलुन है। तो मिसरे के संबंध में है एक तो बह्र स्पष्ट करें और दूसरा मिसरा जो दिया गया है फिराक साहब का ही है या इसमें बदलाव किया गया है।

मेरा भी यही प्रश्न है ।

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