आदरणीय साथिओ,
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आपका आभार आ0 शिखा जी ।
हार्दिक आभार आदरणीय !
हार्दिक आभार बहना !
लघु कथा को पढ़कर उसे मान दिया ।
आपका हार्दिक आभार , आदरणीय समर कबीर जी ।
बहुत बढ़िया रचना विषय पर, एक नारी को ही आगे आना होगा इसमें| बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए
आपका हार्दिक आभार आदरणीय विनय कुमार जी !
आपका रचना पर आना मुझे संबल प्रदान कर गया , आदरणीय शेख उस्मानी जी ।
यहाँ पर सरला का कोई प्रतिवाद इस लिए नहीं हुआ क्योंकि वह अपनी नवजात बच्ची के विषय मे ही सोच रही थी । उसे केवल मात्र अपनी बच्ची दिखाई दे रही थी इसके अलावा उसे कुछ देखना सुनना था ही नहीं । वैसे भी नव जात बच्ची की माँ थी वह ।
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