For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

‘‘ अरे, सेठजी ! नमस्कार। अच्छा हुआ आप यहीं सब्जी बाजार में मिल गए, मैं तो आपके ही घर जा रहा था। समाचार यह है कि महाराज जी पधारे हैं, उनका कहना है कि इस एरिया में अहिंसा मंदिर का निर्माण कराना है जिसमें आपका सहयोग... ..।‘‘

‘‘ जी बिलकुल ! मेरी ओर से ग्यारह हजार , शाम को आपके पास पहुॅंचा दूॅंगा।‘‘
यह सुनकर, सब्जी का थैला टाॅंगे सेठजी के शिष्यनुमा नौकर से न रहा गया वह बोला,
‘‘सेठजी ! अभी आपने सब्जी की दूकान पर लौकी लेते समय लम्बी बहस के बाद, पूरे बाजार में बीस रुपये प्रति किलो रेट मिल रही लौकी पन्द्रह रुपये में खरीद कर ही साॅंस ली, जबकि इनके एक इशारे पर ग्यारह हजार रुपये दे दिए ?‘‘
‘‘ अरे तू नहीं समझेगा, पाॅंच रुपया अधिक देता तो वह पता नहीं उनका किस प्रकार दुरुपयोग करता , बीड़ी या शराब पीने में लगाता, परन्तु इस प्रकार बचाकर हमने मंदिर के काम में लगा दिया उससे तो सब लोगों का भला ही होगा ?‘‘
‘‘ पर आपने ही तो सिखाया है कि किसी को भी मन, कर्म और वचन से कष्ट पहुँचाना हिंसा कहलाती है। आपने उस किसान को आर्थिक नुकसान पहुॅंचाकर मानसिक कष्ट दिया जो लाभ के लिये नहीं अपनी आजीविका के लिए सब्जी बेचने बाजार में आया है। तो, इस प्रकार हिंसा करके जोड़ा गया धन अहिंसा मंदिर में लगाने पर क्या उसकी पवित्रता खंडित न होगी ? ‘‘
‘‘ अरे! प्रवचन न दे, चल आगे, अभी और बहुत कुछ खरीदना है, तू क्या यह नहीं जानता कि सब्जी उगाने से लेकर बेचने तक की क्रियाओं में किसानों के द्वारा कितने जीवों की हिंसा होती है ? तो क्या सब्जी भाजी खाना छोड़ देना चाहिए ? ‘‘
‘‘ वही तो मैं कह रहा हॅूं कि आप अहिंसा अहिंसा चिल्लाते हैं पर हिंसा से अर्जित भोजन करने से चूकते नहीं । आपकी कथनी और करनी में अन्तर क्यों है, मुझे आपके यहाॅं नौकरी नहीं करना। सम्हालो अपना थैला , मैं तो चला, इस माह के चार दिन का मेरा वेतन भी मेरी ओर से मंदिर को दे देना।‘‘
(मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 954

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr T R Sukul on March 9, 2017 at 11:03pm

विनम्र आभार, आदरणीय महेंद्र कुमार जी। 

Comment by Dr T R Sukul on March 9, 2017 at 11:02pm

आदरणीय विजय निकोर साहब , आपका कथा पर उपस्थित  होकर अपने मनोभाव व्यक्त करना मुझे प्रसन्नता दायक है। विनम्र आभार। 

Comment by vijay nikore on March 8, 2017 at 11:05pm

सुन्दर व्यंग्य ! हार्दिक बधाई।

Comment by Mahendra Kumar on March 8, 2017 at 9:02pm
बहुत बढ़िया लघुकथा है आदरणीय टी.आर. सुकुल जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। एक सुझाव है कि //सम्हालो अपना थैला// की जगह "सम्हालो अपनी लौकी" कर लें, यदि ठीक लगे। सादर।
Comment by Dr T R Sukul on March 8, 2017 at 12:12pm

कथा पर सुसंगत टिप्पणी करने के लिए विनम्र आभार  आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी । 

Comment by Dr T R Sukul on March 8, 2017 at 12:11pm

कथा पर सुसंगत टिप्पणी करने के लिए विनम्र आभार आदरणीया नीता  जी। 

Comment by Dr T R Sukul on March 8, 2017 at 12:10pm

विनम्र आभार आदरणीय सुरेन्द्रनाथ सिंह जी। 

Comment by Dr T R Sukul on March 8, 2017 at 12:09pm

कथा पर सुसंगत टिप्पणी करने के लिए विनम्र आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्र जी। 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 7, 2017 at 6:25pm
आदरणीय शुकुल जी अपना नाम कमाने के लिए किसी के दाम काट लिए व्यंग्य करती हुयी शानदार रचना हार्दिक बधाई सादर
Comment by नाथ सोनांचली on March 7, 2017 at 3:25pm
आद0 डॉ टी आर सुकुल जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। बढ़िया व्यंयात्मक लघुकथा लिखी आपने, बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
1 hour ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
7 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service