For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक जलज - वीराने में
चहकता हुआ
महकता हुआ
दाग नहीं लगने दिया कभी
आब के छींटे का भी
चक्रवातों में घिरा रहा था
जिन्दगी भर।

लौट चले वो झख मारकर
धक्के खाकर थक हारकर
नाखून घिसाकर दाँत किटकिटाकर
आँधी तूफान भँवर
और
चक्रवात भी।

फिर भी लहलहाता रहा
वह वारिज
कोशिश में
अंबर को नापने की।

चुभने लगी
खुद की ही कलियाँ
शूल बनकर
सताने लगे स्व-सद्कर्म
भूल बनकर।

समझ में आया
क्या खोया?
क्या पाया?
जीवन में
फूल बनकर।

मजबूर निढाल चोटिल
वक्त ने सिखा दिया
वक्त के साथ
ढल जाना।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 686

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 27, 2016 at 12:14pm
श्रद्धेय समर कबीर साहब आदाब।रचना प्रशंसा के लिए सादर आभार।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 27, 2016 at 12:11pm
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी सादर आभार।
Comment by Samar kabeer on December 25, 2016 at 8:40pm
जनाब सुरेश कुमार 'कल्याण'जी आदाब,बहुत अच्छी लगी आपकी कविता,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 25, 2016 at 8:21pm

आ० एक अच्छी कोशिश हुयी है .  .

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 25, 2016 at 2:10pm
आदरणीय महेन्द्र कुमार जी सादर आभार।
Comment by Mahendra Kumar on December 25, 2016 at 11:25am
आदरणीय सुरेश जी, बहुत ही अच्छी वैचारिक कविता लिखी है आपने। मेरे तरफ से ढेरों बधाई प्रेषित है। सादर।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 25, 2016 at 9:19am
आदरणिया प्रतिभा पांडेय जी रचना पर अपने सुंदर उद्गार प्रकट करने एवं प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार । सादर।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 25, 2016 at 9:17am
श्रद्धेय मिथिलेश वामनकर जी रचना प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।सादर।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 25, 2016 at 9:03am
आदरणीय आशीष यादव जी हार्दिक आभार।सादर।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 25, 2016 at 9:02am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी रचना अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार।सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service