For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार  अड़सठवाँ आयोजन है.

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

16 दिसम्बर 2016 दिन शुक्रवार से 17 दिसम्बर 2016 दिन शनिवार तक



इस बार पिछले कुछ अंकों से बन गयी परिपाटी की तरह ही दोहा छन्द तो है ही, इसके साथ उल्लाला छन्द को रखा गया है. - 

दोहा छन्द और उल्लाला छन्द

 

यह जानना रोचक होगा, उल्लाला छन्द दोहा छन्द के कितने निकट है ! 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है. 

प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

[प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से प्राप्त हुआ है]

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

दोहा छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

  

उल्लाला छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 16 दिसम्बर 2016 दिन शुक्रवार से 17 दिसम्बर 2016 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 9872

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

15-13 मात्राओं में रचित चित्रानुरूप उलाला छंद के लिए हार्दिक बधाई श्री अशोक रक्ताले भाई 

प्रथम गुरु हम माँ का कहे, सद्गुण की वह खान है

माँ ही तो माता शारदा,  शिशु को देती ज्ञान है || 

आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत छन्दों पर प्रतिक्रिया छंद रचकर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका दिल से आभार. सादर.

 सच माता शिशु के प्रेम का, भाव प्रवण यह चित्र है 

पर उसको शब्दित कर रहा, छंद आपका मित्र है 

 मन बहुत मुग्ध है आपके, लालित्य संजोते छंद पर 

 अब बहुत बधाई आपको, इस भीने से मकरंद पर 

हार्दिक बधाई आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी 

वाह वाह ... बहुत शानदार छंदमयी प्रतिक्रिया 

आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी सादर प्रस्तुति पर आपकी उपस्थिति और सुन्दर छंदात्मक प्रतिक्रिया से रचना सफल हुई है. सादर आभार.

उल्लाला (गीत )

माँ बालक की है बसी ,इक दूजे में जान|

माँ  की साँसों से जुड़ी,बालक की मुस्कान||

 

माँ की सूरत दिव्य है , महिमा जिसकी भव्य है|

जिसके चरणों में सुना,जन्नत का गन्तव्य है||

माँ साँसों की डोर है, इस जीवन की भोर है|

उसकी ममता से सजे, अंखियन का हर कोर है||

 

माँ की गरिमा है यही , बस  उसकी संतान|

माँ  की साँसों से जुड़ी,बालक की मुस्कान||

 

सर्दी गर्मी वात का, या मौसम बरसात का|  

माता रखती ध्यान है,बालक की हर बात का||

मात्र दुग्ध संजीवनी,लिख देती  इक जीवनी|

अद्दभुत मानव  जिन्दगी ,मात लहू से ही बनी||  

 

माँ बालक के स्पर्श से, है सब लेती जान|   

माँ  की साँसों से जुड़ी,बालक की मुस्कान||

 

 

माँ आखर हर फ़र्ज का , ये मरहम हर मर्ज का|

 इससे ही जीवन मिला,मोल नहीं इस कर्ज का||

 माँ बच्चे की मित्र है, बोल रहा ये चित्र है|

 महके सब फुलवारियाँ,कैसा सुरभित इत्र है||

 

माँ की धड़कन से मिली,जीवन को पहचान|

माँ की ममता छत्र है, भगवन का वरदान|

-------मौलिक एवं अप्रकाशित     

आदरणीया राजेशजी

माँ साँसों की डोर है, इस जीवन की भोर है|

उसकी ममता से सजे, अंखियन का हर कोर है|| .......... बहुत सुंदर .... अँखियन सही है, मात्रा भी 13 हो जाएगी।

मात्र दुग्ध संजीवनी,लिख देती  इक जीवनी|

अद्दभुत मानव  जिन्दगी ,मात लहू से ही बनी|| ..........वाह! भावसुंदर,शब्दसुंदर। ............अद्दभुत ..... अद्भुत

माँ की ममता महिमा का सुंदर बखान । चित्र के अनुरूप माँ बेटे के अद्भुत प्रेम पर सुंदर छंद- गीत । हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर ।

आद० अखिलेश जी ,छंद गीत पर आपकी सर्वप्रथम प्रतिक्रिया मिली आपको प्रस्तुति पसंद आई हृदय तल से आभार आपका अँखियन शब्द सही है कई बार मेरा हिंदी कन्वर्टर बहुत परेशान कर देता है जिसके तहत ये टंकण त्रुटी हो जाती हैं 

आपका बहुत बहुत शुक्रिया .

माँ आखर हर फ़र्ज का , ये मरहम हर मर्ज का|

 इससे ही जीवन मिला,मोल नहीं इस कर्ज का||

 माँ बच्चे की मित्र है, बोल रहा ये चित्र है|

 महके सब फुलवारियाँ,कैसा सुरभित इत्र है||....वाह ..क्या सुन्दर उपमा दी है आपने माँ को .

माँ  की अनुपम छवि को बहुत ही सुन्दर शब्द दिए हैं आपने अपने इस गीत में ....हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीया राजेश जी 

 

प्रिय प्रतिभा जी ,आपको ये छंद गीत पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ |

मोहतरमा  राजेश  कुमारी    साहिबा    ,  प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते सुन्दर उल्लाला / दोहा  गीत  के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं   --

मुहतरम जनाब तस्दीक जी ,गीत पर होंसलाफ्जाई ,दाद का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया. 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया दोहा लेखन किया है आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। बहुत बहुत…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । सुझाव के लिए हार्दिक आभार लेकिन…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"अच्छे दोहें हुए, आ. सुशील सरना साहब ! लेकिन तीसरे दोहे के द्वितीय चरण को, "सागर सूना…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कामरूप छंद // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"सीखे गजल हम, गीत गाए, ओबिओ के साथ। जो भी कमाया, नाम माथे, ओबिओ का हाथ। जो भी सृजन में, भाव आए, ओबिओ…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion वीर छंद या आल्हा छंद in the group भारतीय छंद विधान
"आयोजन कब खुलने वाला, सोच सोच जो रहें अधीर। ढूंढ रहे हम ओबीओ के, कब आयेंगे सारे वीर। अपने तो छंदों…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion उल्लाला छन्द // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"तेरह तेरह भार से, बनता जो मकरंद है उसको ही कहते सखा, ये उल्लाला छंद है।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion शक्ति छन्द के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"शक्ति छंद विधान से गुजरते हुए- चलो हम बना दें नई रागिनी। सजा दें सुरों से हठी कामिनी।। सुनाएं नई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Er. Ambarish Srivastava's discussion तोमर छंद in the group भारतीय छंद विधान
"गुरुतोमर छंद के विधान को पढ़ते हुए- रच प्रेम की नव तालिका। बन कृष्ण की गोपालिका।। चल ब्रज सखा के…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion हरिगीतिका छन्द के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"हरिगीतिका छंद विधान के अनुसार श्रीगीतिका x 4 और हरिगीतिका x 4 के अनुसार एक प्रयास कब से खड़े, हम…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion गीतिका छंद in the group भारतीय छंद विधान
"राम बोलो श्याम बोलो छंद होगा गीतिका। शैव बोलो शक्ति बोलो छंद ऐसी रीति का।। लोग बोलें आप बोलें छंद…"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service