For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-77

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 77 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब हसरत मोहानी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

 
"बेहोश इक नज़र में हुई अंजुमन तमाम"

मफऊलु   फाइलातु   मुफाईलु  फाइलुन/फाइलातु

221 2121 1221 212/2121

(बह्र:  मुजारे मुसम्मन अखरब मक्फूफ़)
रदीफ़ :- तमाम
काफिया :- अन (चलन, पैरहन, बांकपन, धन आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 25 नवंबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 26 नवंबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 25 नवंबर दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)

Views: 9446

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय बासुदेव अग्रवाल जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है. शेर-दर-शेर दाद-ओ-मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. बाक़ी गुनीजन कह चुके है. सादर 

ग़ज़ल
--------

गुज़रे हैं रु बरूए नज़र गुल बदन तमाम ।
तुमसा मिला न कोई मिले जानेमन तमाम ।

सुनकर तुझे हुई न यूँ महफ़िल मगन तमाम ।
धड़का दिए ग़ज़ल ने तेरी मुर्दा मन तमाम ।

अब भी है वक़्त होश में आजा तू बागबाँ
तेरी ही बेरुख़ी का है मारा चमन तमाम ।

आया है कौन तूर सी सूरत लिए हुए
बेहोश इक नज़र में हुई अंजुमन तमाम ।

फ़र्ज़ी निक़ाब चेहरे से तेरे हटेगा जब
खुल जाएंगे जो तूने किये हैं ग़बन तमाम ।

दहशत पसन्द की सदा की है मुख़ालफ़त
यूँ ही तो मेरे साथ नहीं हैं वतन तमाम ।

शम्सो क़मर से क्या भला उनकी मिसाल दूँ
दिलबर पे आके उनकी हुई हैं किरन तमाम ।

हम रहनुमाए कारवाँ आख़िर किसे चुनें
नज़रों के सामने हैं खड़े राह ज़न तमाम ।

दोनों ही जब नहीं हैं ख़तावार इश्क़ में
फिर कैसे हो गया है भला अपना पन तमाम ।

होगी कभी न ख़त्म जहाँ से वफ़ा मगर
इक दिन क़सम इलाही की होगा ज़मन तमाम ।

अंदाज़े शायरी तेरा तस्दीक़ है जुदा
बेहतर जहाँ में यूँ तो हैं अहले सुख़न तमाम ।


ज़मन ----दुनिया
अहले सुख़न ---शायर
राह ज़न ---लुटेरा
मुख़ालफ़त ----विरोध

( मौलिक व अप्रकाशित )

मोहतरम जनाब तस्दीक अहमद खान जी सादर अभिवादन। बढ़िया अशआर के साथ उम्दा गजल पढ़ने को मिली, वैसे तो हर शेर कुछ कहता है पर यह शेर
होगी कभी न ख़त्म जहाँ से वफ़ा मगर
इक दिन क़सम इलाही की होगा ज़मन तमाम ।
दिल को छू गया। इन्सा अल्लाह ऐसा ही हो,मेरी दिली मुबारकबाद कबूल फरमायें।

मुहतरम जनाब  सुरेंद्र नाथ    साहिब ,  ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने , पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---

दोनों ही जब नहीं हैं ख़तावार इश्क़ में
फिर कैसे हो गया है भला अपना पन तमाम ।


आदरणीय तस्दीक अहमद सर बहुत खूब

मुहतरम जनाब  पंकज कुमार    साहिब ,  ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने , पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---

जनाब तस्दीक अहमद खान जी...इस शानदार ग़ज़ल के लिए आपको बहुत बहुत मुबारकबाद...किस शेअर का ज़िक्र करूँ....सारे के सारे ही बहुत दमदार हैं.

मुहतरम जनाब  गुरप्रीत    साहिब ,  ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने , पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---

वाह आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब शानदार ग़ज़ल पेश करने के लिए मेरी शेर दर शेर दाद कबूल फरमाएँ।

मुहतरम जनाब   बासुदेव  नमन    साहिब ,  ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने , पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---

आदरणीय तस्दीक एहमद खान साहब सादर, खूब अशआर निकाले हैं. गिरह भी खूब लगायी है. भरपूर दाद औ मुबारकबाद कुबूलें. सादर.

मुहतरम जनाब   अशोक कुमार   साहिब ,  ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने , पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service