For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार छियासठवाँ आयोजन है.

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

21 अक्तूबर 2016 दिन शुक्रवार से 22 अक्तूबर 2016 दिन शनिवार तक


इस बार पिछले कुछ अंकों से बन गयी परिपाटी की तरह ही दोहा छन्द तो है ही, इसके साथ पुनः कुकुभ छन्द को रखा गया है. - 

दोहा छन्द और ताटंक छन्द

 

ताटंक छन्द पर आधारित रचनाओं के लिए बच्चन की मधुशाला का उदाहरण ले सकते हैं. 

 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है. 

प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

[प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से प्राप्त हुआ है]

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

दोहा छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

  

ताटंक छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 21 अक्तूबर 2016 दिन शुक्रवार से 22 अक्तूबर 2016 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 9883

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

दोहा छन्द ( द्वितीय प्रस्तुति )
- - - - - - - - - - - -

इस बच्ची की लगन को, सैनिक करें प्रणाम।
अंधकार के नाश को, अर्जन करती ज्ञान।1।

घाटी में कर्फ्यू लगा, सड़कें हैं सुनसान।
बाला पढती बेधड़क, हालत से अनजान।2।

मैं हूँ बेटी हिन्द की, मिली मुझे सौगात।
रोके पढने से मुझे, किसकी ये औकात।3।

छोटी सी ये बालिका, कितनी है गम्भीर।
बदलेगी इस ज्ञान से, घाटी की तकदीर।4।

दहशत की ये हेकड़ी, दूर करें हम आज।
जांबाजों को देखकर, गायब पत्थरबाज।5।

पड़ोस अच्छा ही मिले, बेशक रूठे राम।
वहाँ शान्ति कैसे रहे, बगली पाकिस्तान।6।

सेना के ये वीर हैं, पहरा दें दिन रैन।
ना दिन को आराम है, नहीं रैन को चैन।7।

सरहद हो या शहर हो, सेवा इनका काम।
बच्चा-बच्चा खुश रहे, सुखी रहे आवाम।8।

मौलिक व अप्रकाशित

छोटी सी ये बालिका, कितनी है गम्भीर।
बदलेगी इस ज्ञान से, घाटी की तकदीर। .. 

इस उम्दा दोहे के सापेक्ष आपकी प्रस्तुति को मान देता हूँ, आ० सुरेश कल्याण जी. वैसे प्रथम चरण का अंत कई दोहों में विधा सम्मत नहीं है. लेकिन आपका प्रयास इससे कमतर नहीं हो जाता. 

हार्दिक बधाइयाँ 

द्वीत्य प्रस्तुति भी बहुत उम्दा हुई आद० सुरेश कुमार जी बहुत बहुत बधाई 

इस बच्ची की लगन को---इसका अंत ११२ से हो रहा है देख लें 

सरहद हो या शहर हो---यहाँ भी देख लें 

पड़ोस अच्छा ही मिले, ----जगण आरम्भ में वर्जित है 

बाकी सभी दोहे शिल्पगत हैं  

मैं हूँ बेटी हिन्द की, मिली मुझे सौगात।
रोके पढने से मुझे, किसकी ये औकात।3।----वाह्ह्ह 

छोटी सी ये बालिका, कितनी है गम्भीर।
बदलेगी इस ज्ञान से, घाटी की तकदीर।4।---अतिसुन्दर 

सेना के ये वीर हैं, पहरा दें दिन रैन।
ना दिन को आराम है, नहीं रैन को चैन।7।----बहुत बढिया 

बहुत बहुत बधाई आपको 

//इस बच्ची की लगन को, सैनिक करें प्रणाम।
अंधकार के नाश को, अर्जन करती ज्ञान।1।//

भाव बनें गम्भीर है,सुन्दर हुआ प्रयास
प्रथम चरण में कल सधे,रहती है यह आस


//घाटी में कर्फ्यू लगा, सड़कें हैं सुनसान।
बाला पढती बेधड़क, हालत से अनजान।2।//

बालक मन होता भला,हर गम से अंजान
कर्फ्यू को यह भूल कर,पाना चाहे ज्ञान।


//मैं हूँ बेटी हिन्द की, मिली मुझे सौगात।
रोके पढने से मुझे, किसकी ये औकात।3।//

पढ़ना-लिखना सीखना,हर बच्चे की चाह
रोक सके कोई नहीं,उनकी ऐसी राह।

//छोटी सी ये बालिका, कितनी है गम्भीर।
बदलेगी इस ज्ञान से, घाटी की तकदीर।4।//

छोटी सी यह बालिका,आज रही है जाग
सदा ज्ञान से ही बने,सुन्दर सबका भाग।

//दहशत की ये हेकड़ी, दूर करें हम आज।
जांबाजों को देखकर, गायब पत्थरबाज।5।//

कुछ दहशत के हैं जनक,कुछ हैं उनके साथ
हुई सिंह की गर्जना,काँपे सबके हाथ।


//पड़ोस अच्छा ही मिले, बेशक रूठे राम।
वहाँ शान्ति कैसे रहे, बगली पाकिस्तान।6।//

जगण शब्द का ध्यान दें, देखो सही विधान
तुक बंदी भी हो सही,हो दोहे में जान।

//सेना के ये वीर हैं, पहरा दें दिन रैन।
ना दिन को आराम है, नहीं रैन को चैन।7।//

सैनिक का यह धर्म है,रखे मुल्क का ध्यान
उससे रक्षित हम सभी,वही देश की शान।

//सरहद हो या शहर हो, सेवा इनका काम।
बच्चा-बच्चा खुश रहे, सुखी रहे आवाम।8।//

भाव निकल पाए नहीं,पर है सही विधान
कथ्य मेहनत मांगता,बस लो इतना जान।

..
हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश भाई जी।आपकी मेहनत और अध्ययन सफलता की ओर अग्रसर है।सादर

आदरणीय सुरेश कुमार जी सादर, प्रदत्त चित्र पर आपकी यह प्रस्तुति भी सुंदर है. ताटंक के बाद दोहे भी सुंदर हुए हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.  कुछ त्रुटियों से  आदरणीया राजेश कुमारी जी ने अवगत कराया ही है, पहला छंद शायद उनकी नजर से बच गया है, जिसका तुक सही नहीं है. देख लें. सादर.

आदरणीय सुरेश भाई

विस्तार से प्रतिक्रिया हो चुकी है , शब्द और भाव पक्ष सुंदर , चित्र के अनुरूप हैं. हार्दिक बधाई

ताटंक छंद [एक प्रयास]-

इतिहास सुनाती आज़ादी, रक्त-रंजित यह आबादी,
लाल परी जाती आज़ादी, राजनीति ने करवादी।
बस हुकूमतों की रक्षा से, आतंकी-गुट कक्षा से,
हो पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंचित, मानवता की शिक्षा से।


शक्ति, भक्ति की अजब निशानी, आज़ादी की मतवाली,
दुर्गम राहों पर है चलती, लाल परी हिम्मतवाली,
चिठ्ठी पढ़ती और सुनाती, जब हिम्मत ग़ज़ब समेटी,
बेटी अपनी याद दिलाती, हर सैनिक को यह बेटी।

[मौलिक व अप्रकाशित]

आयोजन के अंतिम क्षणों में अपनी रचना प्रस्तुत कर सहभागिता दर्शा दी आदरणीय. बहुत खूब ! लेकिन यह ताटंक छन्द न हो कर कुकुभ छन्द का उदाहरण बन गया है. अतः रचना वैधानिक रूप से अशुद्ध होने के कारण संकलन में नहीं जा पायेगी. 

लेकिन आपकी संलग्नता के लिए हार्दिक धन्यवाद 

त्वरित प्रतिक्रिया देने व टिप्पणी द्वारा त्रुटि इंगित करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मंच संचालक महोदय श्री सौरभ पाण्डेय जी। दिमाग़ पर ज़ोर लगा कर सहभागिता की है, लेकिन सफल नहीं हुआ। क्या इसे संशोधित कर संकलन घोषित होने पर उसमें सम्मिलित कराया जा सकता है? सुधार सुझाव पाठकों से भी शेष समय में मिल सकें, तो ख़ुशी हासिल होगी!
आयोजन के आरंभ में नोट में कुकुभ छंद का भी तो ज़िक्र है न??

अध्ययन करें. इन विन्दुओं पर हर आयोजन में चर्चा हुई है. क्योंकि पिछलेकई महीनों से लावणी समूह के छन्दों पर ही अभ्यास चल रहा है. यानी लावणी छन्द, कुकुभ छन्द और ताटंक छन्द. 

जी बिलकुल- शुक्रिया। वैसे मेरी रचना में अधिकतर चरणांत में तीन गुरु आये हैं, संकलन में हिस्सेदारी से वंचित होना चाहिए या संशोधन का अवसर प्रदान किया जा सकता है शामिल करके लाल रंग से दोष इंगित करते हुए, सादर विनम्र निवेदन!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion चौपाई : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"सोलह सोलह भार जमाते ।चौपाई का छंद बनाते।। त्रिकल त्रिकल का जोड़ मिलाते। दो कल चौकाल साथ बिठाते।। दो…"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion रोला छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"आदरणीय सौरभ सर, रोला छंद विधान से एक बार फिर साक्षात्कार कर रहा हूं। पढ़कर रिवीजन हो गया। दोहा…"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
21 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service