For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 69 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-70

विषय - "रक्षा बंधन"

आयोजन की अवधि- 12 अगस्त 2016, दिन शुक्रवार से 13 अगस्त 2016, दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र दो ही प्रविष्टियाँ दे सकेंगे. 
  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.


आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 12 अगस्त 2016, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर 
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 12563

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,भाई क्या बात है आनन्द आगया आपकी रचना पढ़ कर, कितने सलीक़े से अपने जज़्बात की अक्कासी की है आपने दिल ख़ुश कर दिया,इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय रवि जी, इस प्रस्तुति में बस बहता चला गया. भाई बहन के स्नेह और इस पवित्र बंधन की सार्थकता को शाब्दिक करती इस सप्रवाह प्रस्तुति हेतु दिल से बधाई. लगा जैसे मेरे दिल की आवाज़ को शब्द मिल गए. इस प्रस्तुति हेतु आभार आपका. सादर 

बहुत खूबसूरत गीत आदरणीय रवि शुक्ला जी 

कवि के भीतर का भाई किस सहजता और सच्चाई से अपनी बहन को आश्वस्त करता है...वह सकारात्मक एनर्जी बहुत पवित्र है बहुत खूबसूरत है.

बहुत बहुत बधाई 

गीत की पहली पंक्ति में //पापा का घर// ही कहा गया है .... घर तो माँ पापा दोनों का हुआ न.... पितृसत्तात्मक सोच सिर्फ इसी एक पंक्ति  में सन्निहित है जो परोक्ष रूप से मन में छवि यही अंकित करती है घर पुरुष से...पुरुष का.. 

क्यों न ऐसे कहा जाए ....//माँ पापा के घर में बहना तेरा भी तो हिस्सा है//

सादर 

घर बेशक छोटा है लेकिन
मिल कर इसमें रह लेंगे
तेरी बाते सुन लेंगे कुछ
अपने मन की कह लेंगे
तेरे हाथ किये हैं पीले
फर्ज निभाया जीवन का
वरना तो तुलसी का पौधा
अब भी है तू आँगन का
आदरणीय रवि शुक्ल जी क्या ही सुन्दर गीत बन पडा है , मन को छू गया बहुत बधाई आपको। ...

देखो अपना देश निराला
यहाँ उत्सवों की है माला
रक्षा बँधन उत्सव इक आता
आज उसी की बात बताता
दानव दल की मारा मारी
देवों संग युद्ध था भारी
इंद्र डरे संकट को देखे
हल कोई कब उनके लेखे
मन्त्र शक्ति से था जो जागा
इन्द्राणी लायी वो धागा
बाँधा उसको इंद्र कलाई
जो लड़ जीते पूर्ण लड़ाई
श्रावण की पूणम वह दिन था
रक्षा सूत्र बाँधा जिस दिन था

जब राजा बलि गर्व भरे थे
ईश्वर वामन रूप धरे थे
राजा ने संकल्प लिया था
भूमि तीन पग दान किया था
ईश्वर ने अद्भुत की माया
मही स्वर्ग दो पग में आया
तीजा पग सर पर रखवाया
बलि पाताल चले तब भाया
राजा बलि जब वहाँ गए थे
भगवन खुदके साथ लिए थे
माँ लक्ष्मी तब पड़ी अकेली
नारद जी से बुझी पहेली

बहन बनीं बलि भाई माना
उसे कलाई धागा ताना
इक उपहार तभी मांग लिया
हरि जी को अपने साथ लिया
मुँह बोला भाई चन्दन था
अनुपम सा यह इक बन्धन था
श्रावण की पूणम वह दिन था
बलि को भी बाँधा जिस दिन था
शायद तब से सभी मनाते
भाई राखी हैं बँधवाते
कुमकुम टीका बहन लगाएँ
भाई पर सब वारी जाएँ

रण में जब लड़ने जाते थे
रक्षक वे तो बँधवाते थे
रानी ही बाँधा करती थी
राजाओं पर जो मरती थी
रक्षा को जो बँध जाता है
रक्षा बन्धन कहलाता है

मौलिक एवं अप्रकाशित

आदरणीय सतविन्द्र भाई

रक्षा सूत्र का महत्व बतलाते हुए पूरी कथा को सुंदर शब्दों में पिरोकर बहुत ही रोचक बना दिया है आपने ।,

हृदय से बधाई

आदरणीय सतविन्द्र भाई

रक्षा सूत्र का महत्व बतलाते हुए पूरी कथा को सुंदर शब्दों में पिरोकर बहुत ही रोचक बना दिया है आपने ।, हृदय से बधाई "

 
प्रयास को समय देकर अनुमोदन करने के लिए एवं प्रोत्साहक टिप्पणी के लिए सादर हार्दिक आभार आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी।सादर नमन
रक्षाबंधन के अवसर पर बढ़िया प्रवाहमय रचना के माध्यम से तथ्य व कथ्य सम्प्रेषित करती रचना के लिए तहे दिल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय सतविंदर कुमार जी।
प्रयास के मर्म को समझते हुए इसे सार्थक बनाने के लिए तहेदिल शुक्रिया आदरणीय शेख शहज़ाद जी।सादर

मोहतरम जनाब सतविंदर   साहिब  ,  प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सुन्दर  रचना के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ---

हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहे दिल शुक्रिया जनाब तस्दीक अहमद साहब।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service