For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सरकारी अनुदान - ( लघुकथा ) -

सरकारी अनुदान - ( लघुकथा )  -

"अरी ओ कुसुमा, अभी तू इधर ही खड़ी है! जल्दी से फारिग होकर आजा! देख सूरज निकल आया है"!

"वही तो सोच रही हूं अम्मा, किधर जायें,चारों तरफ़ तो खेत खलिहान में आदमी लोग दिख रहे हैं"!

"इसलिये तो कहते हैं बिटिया कि अंधियारे में ही हो आया करो"!

"अम्मा, तुम तो खुद ही देख चुकी हो कि पिछले महीने दो लड़कियों को जंगली जानवर उठा ले गये"!

"अरे बिटिया, गाँव देहात में यह सब कहानी किस्से तो चलते ही रहते हैं!कौन जाने सच क्या है"!

"पर अम्मा, तुम घर में शौचालय क्यों नहीं बनवा लेती!अब तो सरकार भी अनुदान देती है"!

"सोच तो हम भी यही रहे हैं, बिटिया!पर वह अनुदान मंजूर करवाने के लिये जो अनुदान देना पड़ता है, वह कहाँ से लायें"!

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 725

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on August 3, 2016 at 11:53am

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी!लघुकथा को समय देने एवम उसके विषय की विस्तृत विवेचना हेतु विशेष आभार!

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 2, 2016 at 10:18pm
बजट / अनुदान के वितरण की एक कार्यशैली होती है।
- " बजट /अनुदान चाहिए ?"
- " आइये , हमारा हिस्सा दे जाइये , "
- " अपना हिस्सा ले जाइये। "
प्रस्तुति पर बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह जी , सादर।
Comment by TEJ VEER SINGH on August 2, 2016 at 9:52pm

 हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 1, 2016 at 9:32pm

भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर क्ररारा कटाक्ष करती हुई बेहतरीन लघु कथा हार्दिक बधाई आद० तेजवीर सिंह जी |

Comment by TEJ VEER SINGH on August 1, 2016 at 8:52pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब  जी!

Comment by Samar kabeer on August 1, 2016 at 1:49pm
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,"वो अनुदान मंज़ूर करवाने के लिये जो अनुदान देना पड़ता है वो कहाँ से लाएं"
वाह बेहतरीन तंज़, क्या बात है, इस शानदार लघुकथा के लिये दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by TEJ VEER SINGH on August 1, 2016 at 12:37pm

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on August 1, 2016 at 12:36pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on August 1, 2016 at 12:36pm

हार्दिक आभार आदरणीय कल्पना जी!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2016 at 12:14pm

भ्रष्टाचार यहाँ  जोंक की तरह फ़ैल चुका है | इसके चलते सारी  सरकारी प्रयास नाकाम  हो  रहे  है  | अच्छी सन्देश देती लघु कथा 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"रात दिवस केवल भरमाए। सपनों में भी खूब सताए। उसके कारण पीड़ित मन। क्या सखि साजन! नहीं उलझन। सोच समझ…"
1 hour ago
Aazi Tamaam posted blog posts
15 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service